Book Title: Agnat Pratima Ki Khoj
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 15
________________ अज्ञात प्रतिमा कीखोज माँ देखो, देखो भगवान गोम्मटेश्वर की मूर्ति निर्माण कर कितनास्वर्णलाया हैं। अनेक पीढ़ियों तक कमाने की आवश्यकतानहीहोगी। पुत्र। मुझे दृश्य है कि तेरे भीतर बैठा कलाकार मर गया। तू व्यापारी बन गया। माँ।यह पुरस्कार है, मेरी कलाका मूल्य है। नहीं बेटा तूने कला को बेचकर स्वर्ण पाया है। मैं इसे छूनाभी नहीं चाहती। मैं बहत शर्मिन्दा एक चामुण्डराय की /माँ है जिसका पुत्र अनेक कष्ट उठाकर इस भयानक जंगल में आया और मूर्ति का निर्माण करारहाहै। और एक माँ मैं हूँ और मेरा पुत्र मूर्ति निर्माणकोव्यापार समझ रहा है। NA MEROINE

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