Book Title: Agnat Pratima Ki Khoj
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 22
________________ HUSHI गुरुदेव! क्या कारण है? प्रभु प्रतिमा मेरा अभिषेक स्वीकार नही किया ? a जैन चित्र क वत्सा भक्ति और 'अभिमान एक साथ नहीं रहते विनम्रता सबसे बड़ा गुण है। ந்த मैं बहुत लज्जित हूँ गुरुदेव ! क्षमा चाहता है। मूर्ति का निर्माण तो माँ का लिलदेवी की भावना और आपके आशीर्वाद से हुआ है। 20 स्वामी राज्य कर्मचारियों ने बहुत खोजा पर नहीं मिली। अभिषेक के समय उपस्थित लोगों से भी पूछा उन्होने बताया अभिषेक के बाद से नहीं दिखी, अदृश्य हो गई, कोई अलौकिक शक्ति थी। वत्स । तुझे घमण्ड हो गया था कि तूने इतनी विशाल और सुन्दर मूर्ति का निर्माण कराया है। Trent) Cust उस वृद्धा की स्मृति में निर्मित सुन्दर कलात्मक प्रतिमा आज भी उस चमत्कार की घटना की याद दिलाती है।

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