Book Title: Agnat Pratima Ki Khoj
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्र कथा बजेसिक अज्ञात प्रतिमा की खोज Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्र कथा - अज्ञात प्रतिमा की खोज सम्पादक - ब्र. धर्मचंद जैन शास्त्री, प्रतिष्ठाचार्य शब्द - ब्र. रेखा जैन, टीकमगढ़ चित्रकार - बनेसिंह प्रकाशन वर्ष - 2004 मूल्य 15.00 रुपये प्रकाशक - आचार्य धर्म श्रुत ग्रन्थमाला एवं मानव शान्ति प्रतिष्ठान जैन मंन्दिर, गुलाव वाटिका, लोनी रोड, दिल्ली जि. गाजियाबाद फोन. 0120-2600074, मो. 32537240 मुद्रक शिवानी आर्ट प्रेस दिल्ली-32 चारित्र चक्रवर्ति आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज (दक्षिण) के 131 वॉ जन्म दिवस संयम वर्ष के पावन पर्व पर प्रकाशित Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिगम्बर श्रमण नेमिचन्दजी सिद्धांत चक्रवर्ती प्रवचन दे रहे हैं- ● प्राचीन काल में मनुष्यों की इच्छाओं की पूर्ति कल्प वृक्ष किया करते थे। जब कल्प वृक्षों ने आवश्यक वस्तुएँ देना कम कर दिया तो उस युग के स्त्री, पुरुष सम्राट ऋषभदेव के पास गए और बोले स्वामी! वृक्षों से आवश्यकताओं की पूर्ति नही करते। सम्राट ऋषभदेव ने प्रजाजनों" को कृषि करना सिखाया। व्यापार, कला सिखाई। आत्म रक्षा के लिए शस्त्र चलाना सिखाया सम्राट ऋषभदेव के पुत्रों में भरत एवं बाहुबलि बहुत प्रसिद्ध थे। सम्राट भरत के नाम पर ही यह देश भारत वर्ष कहलाता है। शब्द : मिश्री लाल जैन अज्ञात प्रतिमा की खोज भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबलि की दुर्लभ प्रतिमा के निर्माण की कहानी HIHCH चित्र: बनेसिंह, जी. एस. राजावत, गीताश्री एवं विजय अक्षरः शरद कुमार MAM Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा एक दिनसम्राट ऋषभदेव के राज दरबार में नीलांजना-तिलोतमा नामक नर्तकी नाच रही थी।नाचते समय उसकी मृत्यु हो गई। मैं आज आदि तीर्थकर भगवान ऋषभदेव की कथा आगे सुनाता हूँ। SAV8 इस दृश्य को देखकर सम्राट ऋषभदेव सन्यासी बन गष्ट। दिगम्बर सन्यासी बनने के पहले उनने अपना राज्य पुत्रों को सौंप दिया। बाद में सम्राट भरत और बाहुबली में युद्ध हुआ। बाहुबली ने चक्रवर्ती सम्राट भरत को हरा दिया, किन्तु अपने भाई से युद्ध करने के कारण उन्हें वैराग्य उत्पन्न हुआ और युद्ध स्थल में ही शस्त्र फेक कर, दिगम्बर सन्यासी बन तपस्या करने जंगल में चले गए। उन्होने बहुत कठोर तपस्या की उनके शरीर पर बेलें चढ़ गई, सर्प शरीर पर चढ़ने लगे। सम्राट भरत ने बाहुबलि की साधना को स्थाई बनाने के लिए उनकी बहुत सुन्दर, विशाल मूर्ति बनवाई थी। बहुत लम्बा समय बीत गया,पता नहीं वह मूर्ति कहाँ है। यदि कोई खोज निकाले तो संसार की सबसे सुन्दर प्रतिमा प्रमाणित होगी। गंगवंश के महाराज रायमल्ल के मंत्री वीर चामुण्डशय की माँ चिन्तन मुद्रा में बैठी है आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में गोम्मटेश्वर बाहुबलि की प्रतिमा की प्यास जगादी। बाहुबलि की उससुन्दर मूर्ति के दर्शन किए बिनासंसार में सूना-सूना लगता है। SO Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा की खोज (स्वामी! आपका स्वागत है। 'होस्वामी। सन्देशवाहक प्रिया युट्टतोजीवन आपकी वीरता की कथाएँका अंग बन गया है उसकी सुनाया करताथा। सुनकर बात छोड़ो। माँ स्वस्थ और सब का मन प्रसन्नतासे प्रसन्न तो है? भर जाता था। प्रिय अजिता! कुशल तोहै। O56 Los0 01/11 COO. SOOM o००० O स्वामी। माँ पूर्ण स्वस्थ है, किन्तु आज आचार्य श्री का प्रवचन सुनकर आई है तब से बहुत उदास लगती है। देव! आचार्य श्री के प्रवचन तो उदासी और चिन्ता को दूर करते है। प्रवधन और उदासी में क्या सम्बंध? मुझे क्या पता? BIOIOIOIOIOSA Sex OOO COM Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CE SC आ 1315 जैन चित्र कथा माँ बहुत उदास लगती हो ?) नहीं पुत्र मैं बहुत सुखी) नही मी सही बनाओ क्यों उदास हो? पुत्र कल आचार्य श्री ने अपने प्रवचनों में पोदनपुर में भरत द्वारा निर्मित भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबलि की मूर्ति की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने बाहुबलि की उस मूर्ति के दर्शनों की प्यास जमादी मैं उस मूर्ति के दर्शन करना चाहती हूँ। 4 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा कीखोज माँ।पोदनपुर मे बनी उस मूर्ति को बने। हजारों वर्ष बीत गये। मूर्ति कहाँ है? किसी कोपतानहीं। जिस स्थान पर मर्तिहोने की सम्भावनाहै वहाँ घना हिंसक पशुओंसेभरा जंगल है। आप आज्ञादेंतो चन्द्रगुप्त बस्ती में भगवान पाश्ववनाथ के दर्शन करालाँऊ DOO0000 Pucc0004 200/0OADS 69DOI पुत्रातूतो महान वीर है। 'वीर मार्तण्ड,रणरंग केसरी, भुज विक्रम जैसी अनेक उपाधि मिली है। यदि तू भी हिंसक पशुओं और घने जंगलो से भय खाता हे तो रहने दे। MORUM H माँ। मैं अपने कष्टों की बात नहीं कर रहा,और न कष्टों से घबराता हूँ। आपको वृद्ध अवस्था में कष्ट होगा और यदि मूर्ति नहीं मिली तो निराशा बढेगी। Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा पुत्र! मेरे कष्टों की चिन्ता नकर मेरी वृद्ध अवस्था है।मैं अपना शेष जीवन अरिहन्त भगवान की शरण में बिताना चाहती हूँ, गोम्मटेश्वर बाहुबलि के दर्शन कराकर मैरी अभिलाषा पूरी कर। अच्छा माँ। यात्रा के लिए (तैयार रहें। आवश्यक तैयारी और व्यवस्था के बाद अभियान दल प्रतिमा की खोज के लिए यात्रा प्रारम्भ करेगा। आचार्य नेमिचन्द सिद्धांत चक्रवतीं। चामुण्डशय काललदेवी अनेक युवक-युवतियों का यात्री दल जा रहा है। हिंसक पशुओ से भरे इस भयानक जंगल में प्रतिमा होने के कोई चिन्ह नहीं दिखते। Sssxe । Durati.mili -di MPIANIMA Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा के दर्शन कर रहा है। Chau weari 723551 чий अज्ञात प्रतिमा की खोज हे पार्श्व प्रभु आपकी जय हो, हमारी मनोकामना) पूरी करो। 101 जैन जाति नही धर्म है। छोटे-छोटे पशु, पक्षियों में, यहाँ तक कि पेड़-पौधों में भी प्राण होते है इसलिए इन सब की रक्षा करना हमारा धर्म है। संसार में अहिंसा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और हिंसा से बड़ा कोई पाप नही है। घना जंगल है। "विशाल पर्वत श्रेणियाँ। हिंसक पशु, आगे का रास्ता भी दिखाई नही देता) Вили 7 Clever Yer лице www e hesi Lev 00 Son CLET www यात्रा अभी चलने दो, किसी सुरक्षित स्थान ★ पर विचार करेगे। 1 गुरुदेव आप ही मार्ग दर्शन दीजिए, अब क्या करें ? Mu شا العه 37 Cla 44 mum Now the 005 Weer Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्र कथावा अब यात्रा करना सभवनही है,यात्री दल यहीं रुकेगा। मैं देह नहीं आत्माहूँ। जन्म-मृत्युसे मुझपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। HOMMITIVE Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा कीखोज आचार्य श्री को सुनाई पड़ रहा है। यात्री दल का आगे बढ़ना, मृत्यु को निमंत्रण देना है। भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबलि यात्री दल की भक्ति से प्रसन्न है। चामुण्डराय चन्द्रगिरि पर्वत से इन्द्रगिरी पर्वत पर बाण मारे। जहाँ भी बाण लगेगा वहीं प्रतिमा प्रकट होगी। वीर चामुण्डराय। रात्री मे सामायिक के तत्काल बाद मुझे अज्ञात आवाज में सुनाई पड़ा। यदि तू चन्द्रगिरि पर्वत से इन्द्रगिरि पर्वत पर बाण मारे जिस शिलाखण्ड से बाण टकरायेगा वहीं मूर्ति प्रकट होगी। पर क्या यह सम्भव है। ESH आचार्य श्री आप महान साधक है। ऋद्धि सिद्रियाँ आपके आसपास मण्डरांती है किन्तु आप उनका उपयोग नहीं करतोआप की वाणी मिथ्या नहींहोसकती वत्सतो फिर विलम्ब मत कर। Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा गुरुदेव आज्ञा दीजिए। TI वत्स तेरी मनोकामना पूरीहो। | समीपवतीं गाँवो से भीड की भीड दर्शन करने आरही है। भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबलीकी जय। भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबलीकी जय। Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा की खोज गुरूदेवाआपके मूर्ति प्रकट हो आशीवाद से भगवान / गई यह सौभाग्य की बात बाहुबलि की प्रतिमा हैकिन्तु प्रतिमा अस्पष्ट तौ प्रकट होगई। आकृति है, श्रेष्ठ शिल्पियों को बुलाओ और कहो प्रतिमा काआकार और सौन्दर्य निखारे। Coco शिल्पी अरिष्टनेमिराबाहबलि की प्रतिमा का आकार तो दिरखने लगा है। प्रतिमा का निर्माण कार्य तुम्हे करना है। स्वामी। प्रतिमा बहुत विशाल है। अनेक शिल्पी मिल कर कार्य करेगें। बहुत खर्चा आयेगा। व्यय और पारिश्रमिक की तुम चिन्ता न करो मूर्ति का आकार स्पष्ट (उभरने के बाद जितना पत्थर निकलेगा उतनासोनापारि श्रमिक मे देनाहोगा। शिल्पी। मुझे तुम्हारी शर्त स्वीकार है। प्रतिमा अति सुन्दर बननी चाहिये। Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा अनेक शिल्पी प्रतिमा बनाने में लगे है IA स्वामी। भगवान की विशाल प्रतिमा तैयार हो गई। शुभ समाचार है। अपना पारिश्रमिक लेते जाना। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा कीखोज माँ देखो, देखो भगवान गोम्मटेश्वर की मूर्ति निर्माण कर कितनास्वर्णलाया हैं। अनेक पीढ़ियों तक कमाने की आवश्यकतानहीहोगी। पुत्र। मुझे दृश्य है कि तेरे भीतर बैठा कलाकार मर गया। तू व्यापारी बन गया। माँ।यह पुरस्कार है, मेरी कलाका मूल्य है। नहीं बेटा तूने कला को बेचकर स्वर्ण पाया है। मैं इसे छूनाभी नहीं चाहती। मैं बहत शर्मिन्दा एक चामुण्डराय की /माँ है जिसका पुत्र अनेक कष्ट उठाकर इस भयानक जंगल में आया और मूर्ति का निर्माण करारहाहै। और एक माँ मैं हूँ और मेरा पुत्र मूर्ति निर्माणकोव्यापार समझ रहा है। NA MEROINE Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बेटा अपना वंश कलाकारों का वेश है, मूर्तिकारों का वंश है। मूर्ति निर्माण के बाद निर्माण कराने वाला जोदे उसे प्रभू का प्रसाद समझकर स्वीकार करना चाहिए। जैन चित्रकथा (स्वामी। क्षमा करें। मूर्ति अभी पूरी तरह बनी नहीं है। सुन्दरता निखारने के लिए मुझे बहुत श्रम करना पड़ेगा। जितना भी पाषाण मूर्ति से निकाल कर लाओगे उतने ही वजन के बराबर तौल कर हीरे-मोती दूंगा। क्षमा करेस्वामी मैने जोपारिश्रमिक लिया है वह भी लौटा रहा है। कलात्मक देव प्रतिमा का निर्माण मूल्य के बदले में नहीं हो सकता। मैंने जब से मूल्य नलेने का निश्चय किया । है मूर्ति में अनेकदोष दिखने लगे है। मूर्तिकार मैं तुम्हारी भावना का सम्मान करता हूँ। तुम्हारी साधना सफल हो। OODOO orors ORG RSSC Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा की खोज गुरुदेव। गोम्मटेश्वर बाहुबली की अनुपम, अद्भुत मूर्ति बन कर तैयारहो गई। वत्सा मैं उस दिव्य प्रतिमा के दर्शन कर आया है। ऐसी दिव्य और विशाल, मैंने नदेखी और न सुनी। F ENADA अहा! कितनीसुन्दर मूर्ति बनी है। विश्वासनहीं होता कि यह मूर्ति मैंने ही बनाई है। मेरा जीवन सफल हो गया। गुरुदेव। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और महामस्तकाभिषेक का कार्यक्रम शीघ्र रखने की भावना है। MHAODal 000000 dPOST विचार उत्तम है, चामुण्डराया तैयारियाँ प्रारम्भ करदो। Olololo Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्र कथा भगवान गोम्मटेश्वर-बाहबली की प्रतिमा को महान दिगम्बर आचार्य श्री नेमिचन्द जी सिद्धांत चक्रवर्ती ने सूर्य मात्र देकर पूज्यनीय बना दिया है। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। जाम्टेश्वर-बाहुबाल गावान बाहुबलि की। YONIWAMOH इन सीढ़ियों से चढ़ कर भगवान का अभिषेक किया जावेगा। GOPE जय गोम्मटेश, जय बाहुबलि CAN ololole Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा की खोज आदि सिद्ध,तुम आदि देव, तुम ही हो मेरेशम दिव्य सुनन्दासुतचरणों में मेरे नित्य प्रणाम। (Eklro जिला Doooo आश्चर्य। जल नेमाके शीश पर बिखर कर रह गया। प्रभु अभिषेक स्वीकार नहीं कर रहे, प्रतिमा के अभिषेक में क्या कोई देवीय बाधा है? यह मंगल सूचक नही है। NTWITUNITAL ACPM 00 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा भैया। मैं भी भगवान का अभिषेक करना चाहती हूँ। प्रतिमा पर दूध अर्पित करना चाहती हैं। चामुण्डराय जिसने मूर्ति बनवाई वह भी अभिषेक नही कर सका। तेरे लुटिया के दूधसे किशाल प्रतिमा का अभिषेक कैसे होगा? भागजा। अर भैया मेरी बड़ीइच्छा थी। LAPNire प्रभु की प्रतिमा किसी का भी अभिषेक जल स्वीकार नहीं कर रही। एक बुढ़िया जो प्रतिदिन लुटिया में दूध लेकर आती है उसी दूधसे चामुण्डराय, को अभिषेक करदो। उतने दूध सेतो शीश का एक भाग भी गीला तक, नही होगा। क्या इस छोटे सेलोटे के दधसेअभिषेक हो सकेगा? कभी-कभी चमत्कारभीहो जाता है। Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात प्रतिमा की खोज हाँ माँ करो। आश्चर्य। महान अभिषेक शायद आश्चर्य छोटेसेलोटे के तुम्हारे पुण्यसे दूधसे शीशसेचरणों अभिषेक हो। तक चला गया।दूध जाए। का प्रवाह रूक ही नही रहा। HAAN गोम्मटेश्वर (बाहुबलि की जय भगवान बाहुबलि की जय HOTOS ED माँ मैं तुम्हारा उपकार कभी नहीं भूलूंगा। जोआज्ञा स्वामी। अभिषेक के बाद वह वृद्ध महिला नहीं दिखी जाओ खोज कर लाओ। में उसका ऋणीह। DEOS Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HUSHI गुरुदेव! क्या कारण है? प्रभु प्रतिमा मेरा अभिषेक स्वीकार नही किया ? a जैन चित्र क वत्सा भक्ति और 'अभिमान एक साथ नहीं रहते विनम्रता सबसे बड़ा गुण है। ந்த मैं बहुत लज्जित हूँ गुरुदेव ! क्षमा चाहता है। मूर्ति का निर्माण तो माँ का लिलदेवी की भावना और आपके आशीर्वाद से हुआ है। 20 स्वामी राज्य कर्मचारियों ने बहुत खोजा पर नहीं मिली। अभिषेक के समय उपस्थित लोगों से भी पूछा उन्होने बताया अभिषेक के बाद से नहीं दिखी, अदृश्य हो गई, कोई अलौकिक शक्ति थी। वत्स । तुझे घमण्ड हो गया था कि तूने इतनी विशाल और सुन्दर मूर्ति का निर्माण कराया है। Trent) Cust उस वृद्धा की स्मृति में निर्मित सुन्दर कलात्मक प्रतिमा आज भी उस चमत्कार की घटना की याद दिलाती है। Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्पादकीय अज्ञात प्रतिमा की खोज आराधना के क्षेत्र में सामान्य मनुष्य की यह मनोवृत्ति होती है कि वह अपनी सांसारिक समस्या का समाधान भी अपने आराध्य के व्यक्तित्व में ढूँढ़ना चाहता है, ऐसे समाधान देने वाले व्यक्तित्व की आराधना में मनुष्य अधिक रुचि, अधिक आकर्षण अनुभव करता है । भगवान बाहुबली की मूर्ति के दर्शन करने एवं भक्ति करनी की भावना श्री गंग राजाओं के मंत्री तथा मुख्य सेनानायक श्री चामुण्डराय की माता काललदेवी की भक्ति से तथा दिगम्बर जैनाचार्य श्री नेमीचंद्राचार्य की प्रेरणा से उस अज्ञात बाहुवली को विन्ध्यगिरी की पहाड़ी पर विशाल शिला के अन्दर छिपे थे उनकी खोज कराकर उनको विराट बिम्ब का निर्माण किया । चामुण्डराय ने विशाल प्रस्तर -खण्ड को निपुण शिल्पियों से उत्कीर्ण करवा कर कलात्मक दिव्य प्रतिमा में बाहुबली की सौम्य छवि का आविर्भाव किया । इतनी विशाल एवं कलात्मक मूर्ति संसार मे अन्यत्र अनुपलब्ध है । अवलोकन करने वाले का ललाट भले ही आकाश की ऊँचाई तक उठ जाय, उनका आध्यात्मिक भाल तो भगवान गोमटेश्वर के चरणों में ही रहेगा। 57 फुट ऊँची इस भव्य मूर्ति का सौन्दर्य अलौकिक है । इस अज्ञात प्रतिमा की प्रतिष्ठा करा कर गोमटेश्वर के रूप में दक्षिण भारत को एक देन दी। जो आज भी जन-जन के आराध्य है । ब्र. धर्मचंद शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परम पू. चारित्र चक्रवर्ति श्री आचार्य शान्तिसागर जी महाराज संयम वर्ष के पुनीत अवसर पर प्रकाशित। आर्यिका सुभूषणमती माताजी क्षुल्लिका राजमति माताजी प्रकाशन सहयोगी श्री भंवरीलाल बड़जात्या | चैन्नई श्रीमती मनफूलबाई बड़जात्या ध.प. चैन्नई