Book Title: Agnat Pratima Ki Khoj
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 17
________________ अज्ञात प्रतिमा की खोज गुरुदेव। गोम्मटेश्वर बाहुबली की अनुपम, अद्भुत मूर्ति बन कर तैयारहो गई। वत्सा मैं उस दिव्य प्रतिमा के दर्शन कर आया है। ऐसी दिव्य और विशाल, मैंने नदेखी और न सुनी। F ENADA अहा! कितनीसुन्दर मूर्ति बनी है। विश्वासनहीं होता कि यह मूर्ति मैंने ही बनाई है। मेरा जीवन सफल हो गया। गुरुदेव। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और महामस्तकाभिषेक का कार्यक्रम शीघ्र रखने की भावना है। MHAODal 000000 dPOST विचार उत्तम है, चामुण्डराया तैयारियाँ प्रारम्भ करदो। Olololo

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