Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company

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Page 835
________________ तत्त्व : आचार : कथानुयोग ] परिशिष्ट-३ : प्रयुक्त ग्रन्थ-सूची ७७५ ४८. थेरगाथा ( हिन्दी अनुवाद) अनु० भिक्षु धर्मरत्न, एम० ए० प्र० महाबोधि सभा, सारनाथ, बनारस १६५५ ४६. थेरीगाथा ( हिन्दी अनुवाद) अनु० भरतसिंह उपाध्याय, प्र० सस्ता साहित्य प्रकाशन मण्डल, दिल्ली १६५० ५०. दद्दर जातक : ५१. दशरथ जातक : ५२. दशर्वकालिक सूत्र ( जैन आगम ) : वाचना प्रमुख आचार्य श्री तुलसी, प्र ० जैन श्वे ० तेरापंथी महासभा, कलकत्ता १९६३ ५३. दशर्वकालिक चूर्णि अगस्त्य सिंह, प्र० प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद : ५४. दशवेकालिक चूर्ण : श्री जिनदास गणि महत्तर, प्र० देवचन्द लाल भाई जवेरी, सूरत १६३३ ५५. दशवेकालिक चूलिका : ५६. दशाश्रुत स्कन्ध : जैन आगम : सं० व अनु० आत्मारामजी महाराज, प्र० जैन शस्त्रमाला, लाहौर १९३६ ५७. दिव्यावदान : ५८. दीघनिकाय : हिन्दी अनुवाद, अनु०राहुल सांकृत्यायन, प्र० महाबोधि सभा सारनाथ, बनारस १९३६ ५६. दीघनिकाय पालि : (त्रिपिटक) ( ३ खण्ड ) सं० भिक्षु जगदीश कश्यप, प्र० पालि प्रकाशन मण्डल नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा, बिहार राज्य १६५८ ६०. धम्मपद ( कथाओं सहित हिन्दी अनुवाद ) : अनु० त्रिपिटकाचार्य भिक्षु धर्म रक्षित, एम०ए० मास्टर खेड़ीवाल एण्ड संस, संस्कृत बुक डिपो, कचौड़ी गली, वाराणसी-9 (द्वितीय संस्करण) १६५५ ६१. धम्मपद अट्टकथा ( ५ खण्ड ) : आचार्य बुद्ध घोष, सं० एच० सी० नॉरमन, प्र० पालि टेक्स्ट सोसाइटी, लन्दन १६०६-१६१५ ६२. धम्मपद पालि : सं० भिक्षु जगदीश काश्यप, प्र० पालि प्रकाशन मण्डल, नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा (बिहार) १६५६ ६३. धर्मरत्न प्रकरण टीका, भाग-२ : श्री शान्ति सूरि, प्र० आत्मानन्द जैन सभा, भाव नगर, १६२५ ६४. पद्मपुराण : ६५. पउम चरियं विमल सूरि द्वारा रचित ६६. पट्टिसम्मिदामग्गो : ६७. प्रश्न व्याकरण सूत्र : ६८. प्रज्ञापना पद : ६६. पायासि राजन्य सुत्त : ७०. बालाहस्त जातक : Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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