Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company

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Page 845
________________ तत्त्व : आचार : कथानुयोग] शब्दानुक्रम ७८५ 67 516 ध्यान 43 निग्रोध मृग-जातक 635,637 ध्यान-प्रकार 43 नित्यत्व-अनित्यत्ववाद 72 ध्यान सिद्धि 705, 388 नियति वाद घारिणी 164, 496,612,619 निर्वेर भाव 354 निष्क्रमण 340 निमितज्ञ निर्वाण 23, 41, 63 नंदीश्वर 466 निर्वाण-सूख 122 नग्गतिपुर 693 नगगति 693 नटग्राम 211 नन्द 507, 622, 611 पंच परमेष्ठी 548 नन्द गोपा 552,494 पंच तंत्र-कथाग्रन्थ 635 नन्दन-वन 629 पंजर वद्ध 511 नन्दा 612 पटह-वादक 503 नन्दादेवी 352 पण्डित 290 नन्दा-राजकुमारी 622 पंडू जनपद 541 नमि 585 पर्णशाला 59 नमि विदेह-देश पद्म रथ-राजा 584 नमुचि मन्त्री 372 पद्म सरोवर 459 नरक 15, 18 पद्मावती 679, 650, 677 नरक योनि 16, 27 पद्मोत्तर 517 नरक-योनि कम 17 पद्म रुचि 466 नयदत्त 465 परलोक 16, 187 नयनानन्द 466 पर-परिवाद न्याय 627 परिग्रह नवकार 462,545 परिणायक रत्न 716 नश्वरता 682 परिषद-प्रकार 179 नख-सूत्र 572 पृथु-राजा 462 नाग-गाथापति 509 प्रदेशी-राजा 168 नाग द्वीप 485 प्रभावती 537 नागपाश 452 प्रमत्त नाथ 25 प्रमाद 120, 121 नारद 462, 600 प्रमादयुक्त नाभि-नेमि 713 प्रमादी 121 निगष्ठ गतपुन्त 140 प्रवजित 29, 112 निर्ग्रन्थ-दीक्षा 419 प्रव्रज्या 373, 699 निर्ग्रन्थ-प्रवचन 419, 615 प्राज्ञ, 134, 260, 222, 259 87 ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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