Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company

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Page 846
________________ ७८६ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन [खण्ड : ३ प्रज्ञा-प्रकर्ष 240 पौषध 564 प्रशास्ति-गान 312 पैशुन्य प्रद्युम्न 530, 554 प्रसेनजित 640, 420 प्रियमित्रा 565 प्रेत-योनि __15 बर्घकिरत्न 713 प्रेम 7 बत्स-तपस्वी 320 पाच जन्य 528 बन्धुमती-नगरी 60 पाच्चाल 324 बनौषधि 224 पाच्चाल चण्ड 341 बज्र जम्बु 466 पाच्चा चण्डी 310 बनजंघ 436 पाच्चाल चण्डी-अभिषेक 341 ब्यन्तर-देव 692 पांडव 545 ब्यवहार-प्रकार 180 पाण्डु 495 बलभद्र 506 पाताल-लंका 410 बलदेव 554, 506 पाप 7, 42, 121, 672 बलराम 506 पाप-फल ___10 वसुदत्त 465 पाप-स्थान 7, 8 वसुदत्त द्विणी 562 पायसी-राजन 203 बसुमित्र 645 पारणा 667 बसु 495 पोलजनक 589 ब्रह्मचर्य 31, 149,79, 666 पावं नाथ 139 ब्रह्म जाल सुत्त पांच महाभूत 64 ब्रह्मदत्त 112,492,577,579,699, 124, पांच महाव्रत 79 610, 641 पांच जन्य शंख 532 ब्रहद्रथ 495 पिगुन्तर 251 ब्रह्म-ज्ञानी 77 पितृ ऋण 664 बादल-अश्व 486 पिप्पली कुमार 669,661 बाल चन्द्रा 506 पुक्कुस 289 बाला-हस्स जातक 476, 484 पुण्डवर्धन 682 बालि पूतना 513 बालि खिल 438 पुनर्जन्म 16, 127 बालि-मुनि 444 पुरोहित रत्न 713 बालू रस्सी पुष्करिनी 231 बाह्मण 77, 45, 53, 54, 55 पुष्परथ . 595 ब्राह्मण-वर्ग पूर्णचन्द 708 ब्राह्मण-संस्कृति 45 पुहंरीकपुर 462 वृषभ-अरिष्ट 516 पूर्ण भद्र-चत्य - 57,484 64 448 242 Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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