Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company
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७७७
तत्त्व : आचार : कथानुयोग] परिशिष्ट-३ : प्रयुक्त ग्रन्थ-सूची ७७७
६५. वृत्ति पीलिका : ६६. वृत्ति पत्र : ६७. व्यवहार सूत्र समाष्य (जैन आगम) मलयगिरि वृत्ति सहित, सं० मुनि माणोक, प्र०
वकील त्रिकमलाल अगरचन्द, अहमदाबाद, १६२८ ६८. व्याख्या प्रज्ञप्ति सूत्र : टीका अभयदेव सूरि, प्र० ऋषभदेव केसरीमल जैन श्वे.
संस्था, रतलाम १९४७ ६६. स्थानांग सूत्र : (जैनागम) अभयदेव सूरि वृत्ति सहित, प्र० आगमोदय समिति, सूरत
१६२० १००. स्थानांग टोका : आचार्य अभयदेव सूरि, सन् १०६३ १०१. स्थानांग समवायांग : (गुजराती अनुवाद) अनु० दलसुख भाई मालवणिया, प्र०
गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद १९५५ १०२. समवायांग सूत्र : (जैन आगम) अभयदेव सूरि वृत्ति सहित सं० मास्टर नगीनदास
नेमचन्द, प्र० सेठ माणेकलाल चुन्नीलाल, अहमदाबाद, १९३८ १०३. समराइच्चकहा: १०४. सीहचम्म जातक : १०५. सीहकोत्थुक जातक : १०६. सुखबोध टिका : १०७. सुत्तनिपात : (हिन्दी अनुवाद सहित) अनु० भिक्षु धर्म रत्न, एम०ए०, प्र० महाबोधि
सभा, सारनाथ, वाराणसी, (द्वितीय संस्करण), १९६० १०८. सुत्तपिटक १०६. सूत्रकृतांग (जैन आगम) शीलंकाचार्य वृत्ति सहित, सं० पन्यास प्रवर श्रीचन्द सागर
गणि, १० श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जैन देशसर पेढ़ी, बम्बई, १९४६ ११०. सौन्दरनन्द : १११. संयुत्त निकाय (हिन्दी अनुवाद) (भाग १-२) : अनु० भिक्षु जगदीश काश्यप,
त्रिपटकाचार्य भिक्षु धर्म रक्षित, प्र० महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, १९५४ ११२. संयुत्त निकाय पालि (त्रिपिटक) (४ खण्ड) सं० भिक्षु जगदीश काश्यप, प्र. पालि
प्रकाशन मण्डल, नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा १६५६ ११३. संयुत्त निकाय अट्ठकथा (सारत्पथकासिनी): आचार्य बुद्ध घोष सं० एफ० एल०
बुडवार्ड, प्र० पालि टेक्स्ट सोसायटी, लन्दन १९२६-१६३७ ११४. सांख्य: ११५, शिवि जातक: ११६. श्रमण सूत्र : ११७. हस्थिपाल जातक:
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