Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company

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Page 840
________________ ७८० आगम और त्रिपिटक: (खण्ड:३ 483, 183 183 183 183 183 497 420 704 7 अज्ञान 541 अज्ञान-वाद 467 आकरक-वाद 214 आक्रिय वाद 73 आगम 555 आचार-धर्म 7 आचार्य 568 आचार्य-प्रकार 589 कालाचार्य 516 धर्माचार्य 533 शिल्पाचार्य 506 आचीर्ण तप 464 आचीर्ण-दोष 681 आर्जव कौण्डिन्य 438 आत्मस्थ 686 आत्म षष्ठवाद 205 आत्म प्रेक्षण 185 आत्म-विजेता 3, 160 आत्मा 491 आत्मोच्छेद वाद 584 आम्ल-भात 436 आमलकल्पा-नगरी 398, 402 आर्यत्व 714,713 आराधन-पथ 69 आलवक-यक्ष 79 आलवी 552 आस्भव 712 आस्भव-प्रकार 461 123 66 35 अभ्याख्यान अमम अमृगघोष मुनि अमात्य अमराविक्षेपवाद अयोध्या अरात अन्ठिपुर-नगर अग्ठि जनक अरिष्ट-वृषभ अरिष्ट नेमि अष्टिपुर अग्हित प्रभु अवकीर्णक अवविज्ञान अवधूत अव नामिनी अवसान अविद्या अबीची-नरक अवन्ती अवन्ती-राष्ट्र अश्वपाल अश्वरत्न अशाश्वत वाद अस्तेय असितज्जन-नगर असि रत्न अर्घ भरत अष्टाह्निक-महोत्सव अष्टागिक-मार्ग अहिकुण्डल-राजकुमार अहिंसक अहिंसा अर्हत् अर्हत-पद अर्हत्व अर्ह छास 112 24, 25,538 74 242 164 83 _133 127 127 36 36,38 431 61, 68 429 इच्छा 84 इन्द्र महोत्सव 3, 79,83 इन्द्र-विद्याधर 56 इन्द्राणी-रानी 160 इन्दुमती 61 इषुकार-नगर 667 इषुकार-राजा 587 697 692 439 498 95 389,396 ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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