Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company

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Page 833
________________ १. अभिधान राजेन्द्र कोष(७ माग) : आचार्य विजय राजेन्द्र सूरि, रतलाम (म०प्र०), १६१३-१४ २. अभिधम पिटक : ३. अश्व घोष : ४. अंगुत्तर निकाय : अनुवाद भदन्त आनन्द कोसल्यायन प्र० महाबोधि सभा, कलकत्ता, १९५७-६३ ५. अन्तकृदशांग सूत्र : ६. अन्तकृदशा सूत्र : ७. आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन खण्ड-१ : प्र० अर्हत् प्रकाशन, कलकत्ता ८. आचारांग सूत्र (जैन आगम) : शीलंकाचार्य कृत वृत्ति सहित, प्र० आगमोदय समिति, सूरत १६३५ ६. आचारांग सूत्रः (हिन्दी अनुवाद) : अनु० मुनि सौभाग्यमल स० वसन्तीलाल नलवाया, प्र० जैन साहित्य समिति, उज्जैन १६५० १० आवश्यक चूणि : (२ भाग) : रचयिता, जिनदास गणि, प्र० ऋषभदेव केसरीमल संस्था रतलाम, १६२८ ११. आवश्यक नियुक्ति : आचार्य भद्रबाहु, मलयगिरी वृत्ति सहित, प्र० आगमोदय समिति, बम्बई १६२८ १२. आवश्यक नियुक्ति : आचार्य भद्रबाहु, हरिभद्रिय वृति सहित,प्र. आगमोदय समिति, बम्बई १६१६ १३. इतिवृत्तक : १४. इषिमाषिय : १५. उत्तरज्झयणाणि : जैन आगम हिन्दी अनुवाद सहित वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी, प्र० जैन श्वे० तेरापंथी महासभा, कलकत्ता १९६८ १६. उत्तराध्ययन सूत्र : नेमिचन्द्र कृत वृति सहित, बम्बई, १६३७ १७. उत्तराध्ययन सूत्र : भाव विजयजी कृत टीका, प्र० आत्मानन्द जैन सभा, भावनगर १८. उत्तराध्ययन सूत्र : (४ भाग) लक्ष्मीवल्लभ कृत टीका, अनु०५० हीरालाल हंसराज, प्र० मणिबाई राजकरण, अहमदाबाद १६३५ १६. उत्तराध्ययन सूत्र : कमल संयमाचार्य कृत टीका २०. उदान (हिन्दी अनुवाद) : अनु० भिक्षु जगदीश काश्यप, प्र० महोबोधि सभा, सार नाथ १९३८ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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