________________ कल्पसूत्र मूळ // 12 // भंते ? इच्छा परो अपरिण्णए भुंजिज्जा, इच्छा परो न भुंजिज्जा // सू. 41 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा उदउल्लेण वा ससिणिद्धेण वा काएणं असणं वा पाणं वा / खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए ॥सू.४२॥ से किमाहु भंते ! सत्त / सिणेहाययणा पण्णत्ता, तं जहा-पाणी 1, पाणिलेहा 2, नहा 3, नहसिहा 4, भमुहा 5, अहरुट्ठा 6, उत्तरोट्ठा 7 / अह पुण एवं / जाणिज्जा-विगओदगे मे काए छिन्नसिणेहे, एवं से कप्पइ असणं / // 12 //