Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 11
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ / उवागच्छित्तए, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य अगारीए / / एगयओ चिट्टित्तए, एवं चउभंगी। अत्थि णं इत्थ केइ पंचमए थेरे / वा थेरिया वा अन्नेसिं वा संलोए सपडिदुवारे, एवं से कप्पइ एगयओ चिट्टित्तए / एवं चेव निग्गंथीए अगारिस्स य भाणियव्वं // सू. 39 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अपरिग्णएणं अपरिग्णयस्स अट्ठाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा जाव पडिगाहित्तए ॥सू. 40 // से किमाहु
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