Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 11
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ कल्पसूत्र // 13 // मज्झयणं समत्तं // (ग्रंथाग्रं 1215) PN-********************* है // श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु स्वामिविरचितं श्रीमद्ददशाश्रुतस्कन्धान्तर्गत श्री कल्पसूत्रं . (बारसासूत्रं ) समाप्तम् // CICICICNICNICIRCreChoreCHECCANCR ॥श्री तपागच्छ-गगनाङ्गण-दिनमणि-पन्न्यासप्रवर-श्री बुद्धिविजय-गणिवर-पादाम्बुज-भृङ्गायमान-पन्न्यास-श्रीमदाणंदविजयगणिवर-चरणचन्द्रचकोर-मुनिप्रवर-श्रीहर्षविजय-मुनीन्द्राङ्घि-सरसिरुह-मानस-राजहंस-तपोमूर्ति-जैनाचार्य-श्रीमद्विजय कर्पूरसूरीश्वर-पट्टधर-शासनप्रतिवादीभकण्ठीरव-हालारदशोद्धारक कविरत्नाचार्यदेव-श्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-चञ्चच्चरणचश्चरीकपन्न्यास-श्रीजिनेन्द्रविजय-गणिवर-संशोधित-सम्पादित-श्रीमदागम-सुधा-सिन्धौ श्रीमत्कल्पसूत्राख्य एकादशमो विभागः समाप्तः॥ 12
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