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योगोद्वहन : एक विमर्श ...137 2. अध्ययन के समुद्देश सम्बन्धी सात खमासमण का दूसरा कायोत्सर्ग।
3. अध्ययन की अनुज्ञा के सात खमासमण का तीसरा कायोत्सर्ग। दो कायोत्सर्ग सम्बन्धी नियम ___ जिस दिन श्रुतस्कन्ध का समुद्देश और अनुज्ञा हो, उस दिन दो कायोत्सर्ग होते हैं
1. श्रुतस्कंध के समुद्देश सम्बन्धी सात खमासमण का पहला कायोत्सर्ग।
2. श्रुतस्कंध की अनुज्ञा सम्बन्धी सात खमासमण का दूसरा कायोत्सर्ग। एक कायोत्सर्ग सम्बन्धी नियम ___ जिस दिन श्रुतस्कंध अथवा शतक का समुद्देश हो अथवा अनुज्ञा हो उस दिन एक कायोत्सर्ग होता है
1. श्रुतस्कंध या शतक के समुद्देश सम्बन्धी अथवा अनुज्ञा सम्बन्धी सात खमासमण का पहला कायोत्सर्ग।
निष्पत्ति- योगोद्वहन काल में प्रतिदिन कितने कायोत्सर्ग करने चाहिए? कितने खमासमण आदि देने चाहिए? इस विषय में ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अनुशीलन करने पर इसका विवेचन आचार दिनकर में प्राप्त होता है। इसमें आचार्य वर्धमानसूरि ने अपनी सामाचारी के अनुसार सूत्र, श्रुतस्कंध, उद्देशक आदि के अध्ययन दिन में कितने कायोत्सर्ग आदि करने चाहिए? इस विषय का स्पष्ट उल्लेख किया है।32 विक्रम की 14वीं शती के पूर्ववर्ती ग्रन्थों में निर्दिष्ट विवरण स्पष्ट रूप से पढ़ने में नहीं आया है। इससे संभवतया फलित होता है कि योगोद्वहन काल में कायोत्सर्गादि करने की अवधारणा विक्रम की 14वीं शती के अनन्तर अस्तित्व में आई अथवा आचार्य वर्धमानसरि ने अपनी सामाचारी के मतानुसार उक्त विधान को उल्लेखित करना आवश्यक समझा होगा। इसका सत्यार्थ गीतार्थ मुनियों के लिए भी अन्वेषणीय है। यहाँ कायोत्सर्ग एवं खमासमण की तालिका तपागच्छ परम्परा के आचार्यों द्वारा संकलित कृतियों के आधार पर प्रस्तुत की है, जो प्राय: आचारदिनकर से समरूपता रखती हैं।33 योगवाहियों के लिए नन्दी सम्बन्धी सूचनाएँ ___ 1. जिस अंगसूत्र में दो श्रुतस्कन्ध होते हैं उस सूत्र के योगोद्वहन काल में पाँच नन्दी होती हैं- पहली नन्दी अंगसूत्र के उद्देशक दिन में, दूसरी नन्दी प्रथम