Book Title: Agam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 458
________________ 400... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण प्राभातिक काल - रात्रि का अन्तिम प्रहर अथवा सूर्योदय का समय। प्रवेदन - शिष्य द्वारा करने योग्य क्रिया कलापों का गुरु के समक्ष निवेदन करना प्रवेदन कहलाता है। कल्पत्रेप- शरीर, समीपवर्ती क्षेत्र एवं भावों की शुद्धि करना या तत्सम्बन्धी दोषों को दूर करना कल्पत्रेप है। स्वाध्याय उत्क्षेपण - अस्वाध्याय को दूर करने की विधि। यह विधि कार्तिक वदि एवं वैशाख वदि दूज के दिन की जाती है। स्वाध्याय निक्षेपण - स्वाध्याय न करने की विधि। यह विधि आसोज शुक्ला एवं चैत्र शुक्ला पंचमी के दिन की जाती है। सन्दर्भ - सूची 1. अनुयोगद्वार, संपा. मधुकरमुनि, पृ. 7-11 2. तिलकाचार्य सामाचारी, पृ. 37 3. व्यवहारभाष्य सानुवाद, गा. 2369, 2335, 538, 785 4. बृहत्कल्प भाष्य, गा. 277 5. मूलाचार, गा. 123 की टीका 6. अन्नं अन्नकाले, पानं पानकाले, वत्थं वत्थकाले, सयण सयणकाले। सूत्रकृतांगसूत्र, 2/1/15 7. कालण्णू- आचारांगसूत्र, 1/8/3/210 8. काल पडिलेहणयाए णं नाणावरणिज्जं कम्मं खवेइ । उत्तराध्ययनसूत्र, 29/15

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