Book Title: Agam 45 Anuogdaraim Beiya Chuliya Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 3
________________ बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः नमो नमो निम्मलदंसणस्स ॐ ह्रीं नमो पवयणस्स ४५ अनुओगदाराइं-बिइया चूलिया [१] नाणं पंचविहं पन्नत्तं तं जहा- आभिनिबोहियनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मणपज्जवनाणं केवलनाणं । [२] तत्थ चत्तारि नाणाइं ठप्पाइं ठवणिज्जाइं नो उद्दिसिज्जंति नो समुद्दिसिज्जंति नो अणुन्नविज्जंति, सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ । [३] जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ?, किं अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ?, अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, इमं पुण पट्टवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ । [४] जइ अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ किं कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ?, उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ?, कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ उक्कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च उक्कालियस्स उद्देसो जाव अनुओगो य पवत्तइ । [५] जइ उक्कालियस्स उद्देसो जाव अनुओगो य पवत्तइ किं आवस्सयस्स उद्देसो जाव अनुओगो य पवत्तइ? आवस्सयवतिरित्तस्स उद्देसो जाव अनुओगो य पवत्तइ? आवस्सयस्स वि उद्देसो जाव अनुओगो य पवत्तइ, आवस्सयवतिरित्तस्स वि उद्देसो जाव अनुओगो य पवत्तइ । इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च आवस्सयस्स अनुओगो । [६] जइ आवस्सयस्स अनुओगो० आवस्सयण्णं किं अंग अंगाई सुयखंधो सुयखंधा अज्झयणं अज्झयणाइं उद्देसो उद्देसा? आवस्सयण्णं नो अंगं नो अंगाइं सुयखंधो नो सुयखंधा नो अज्झयणं अज्झयणाइं नो उद्देसो नो उद्देसा | ___ [७] तम्हा आवस्सयं निक्खिविस्सामि सुयं निक्खिविस्सामि खंधं निक्खिविस्सामि अज्झयणं निक्खिविस्सामि | [८] जत्थ य जं जाणेज्जा निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं | जत्थ वि य न जाणेज्जा चउक्कयं निक्खिवे तत्थ ।। [९] से किं तं आवस्सयं ? आवस्सयं चउव्विहं पन्नत्तं तं जहा- नामावस्सयं ठवणावस्सयं दव्वावस्सयं भावावस्सयं । [१०] से किं तं नामावस्सयं ? नामावस्सयं- जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आवस्सए त्ति नामं कज्जइ से तं नामावस्सयं । [११] से किं तं ठवणावस्सयं ?, ठवणावस्सयं- जंणं कठुकम्मे वा पोत्थकम्मे वा चित्तकम्मे वो लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए [दीपरत्नसागर संशोधितः] [2] [४५-अनुओगदाराइं]

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