Book Title: Agam 34 Nisiham Padhamam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ [२०९] जे भिक्खू देसारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति । उद्देसो-४ [२१०] जे भिक्खू देसारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति । [२११] जे भिक्खू देसारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति । [२१२] जे भिक्खू सव्वारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति । [२१३] जे भिक्खू सव्वारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति । [२१४] जे भिक्खू सव्वारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति । [२१५] जे भिक्खू कसिणाओ ओसहीओ आहारेति आहारेंतं वा सातिज्जति | [२१६] जे भिक्खू आयरिय-उवज्झाएहिं अविदिन्नं विगतिं आहारेति आहारेंतं वा सातिज्जति । [२१७] जे भिक्खू ठवण-कुलाइं अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय पुव्वामेव पिंडवाय-पडियाए अनुप्पविसति अनुप्पविसंतं वा सातिज्जति । [२१८] जे भिक्खू निग्गंथीणं उवस्सयंसि अविहीए अनुप्पविसति अनुप्पविसंतं वा सातिज्जति । [२१९] जे भिक्खू निग्गंथीणं आगमनपहंसि दंडगं वा लट्ठियं वा रयहरणं वा मुहप्पोत्तियं वा अन्नयरं वा उवगरणजायं ठवेति ठवेंतं वा सातिज्जति । [२२०] जे भिक्खू नवाइं अनुप्पणाई अहिगरणाइं उप्पाएति उप्पाएंतं वा सातिज्जति । [२२१] जे भिक्खू पोराणाई अहिगरणाइं खामिय विओसमियाइं पुणो उदीरेति उदीरेंतं वा सातिज्जति । [२२२] जे भिक्खू मुहं विप्फालिय-विप्फालिय हसति हसंतं वा सातिज्जति | [२२३] जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं देति देंतं वा सातिज्जति । [२२४] जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं पडिच्छति पडिच्छंतं वा सातिज्जति । [२२५] जे भिक्खू ओसन्नस्स संघाडयं देति देंतं वा सातिज्जति । [२२६] जे भिक्खू ओसन्नस्स संघाडयं पडिच्छति पडिच्छंतं वा सातिज्जति । [२२७] जे भिक्खू कुसीलस्स संघाडयं देति देंतं वा सातिज्जति । [२२८] जे भिक्खू कुसीलस्स संघाडयं पडिच्छति पडिच्छतं वा सातिज्जति । [२२९] जे भिक्खू नितियस्स संघाडयं देति देंतं वा सातिज्जति । [२३०] जे भिक्खू नितियस्स संघाडयं पडिच्छति पडिच्छंतं वा सातिज्जति । [२३१] जे भिक्खू संसत्तस्स संघाडयं देति देंतं वा सातिज्जति । [२३२] जे भिक्खू संसत्तस्स संघाडयं पडिच्छत्ति पडिच्छंतं वा सातिज्जति । [२३३] जे भिक्खू उदओल्लेण वा ससिणिद्धेण वा हत्थेण वा मत्तेण वा दव्वीए वा भायणेण वा असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [२३४] एवं एक्कवीसं हत्था भाणियव्वा । जे भिक्खू ससिणिद्धेण वा ससरक्खेण वा मट्टिया संसटेण वा ऊससंसटेण वा लोणसंसटेणं वा हरियालसंसटेण वा मनोसिला संसटेण वा वण्णिय संसटेण वा [दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [३४-निसीह] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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