Book Title: Agam 34 Nisiham Padhamam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 79
________________ [१३३२] जे भिक्खू वत्थनीसाए वासावासं वसति वसंतं वा सातिज्जति । तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं उग्घातियं । • अद्वारसमो उद्देसो समत्तो . उद्देसो-१९ • एगणवीसइमो-उद्देसो ० __ [१३३३] जे भिक्खू वियर्ड किणति किणावेति कीयमाहट्ट दिज्जमाणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [१३३४] जे भिक्खू वियडं पामिच्चेति पामिच्चावेति पामिच्चमाह१ दिज्जमाणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [१३३५] जे भिक्खू वियर्ड परियट्टेति परियट्टावेति परियट्टियमाहट्ट देज्जमाणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [१३३६] जे भिक्खू वियर्ड अच्छेज्जं अनिसिहँ अभिहडमाहट्ट देज्जमाणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [१३३७] जे भिक्खू गिलाणस्साए परं तिण्हं वियडदत्तीणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति | [१३३८] जे भिक्खू वियडं गहाय गामाणुगामं दूइज्जति दूइज्जतं वा सातिज्जति | [१३३९] जे भिक्खू वियडं गालेति गालावेति गालियमाह१ देज्जमाणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [१३४०] जे भिक्खू चउहिं संझाहिं सज्झायं करेति करेंतं वा सातिज्जति तं जहा-पुव्वाए संझाए पच्छिमाए संझाए अवरण्हे अड्ढरत्ते । [१३४१] जे भिक्खू कालियसुयस्सं परं तिण्हं पुच्छाणं पुच्छति पुच्छंतं वा सातिज्जति । [१३४२] जे भिक्खू दिद्विवायस्सं परं सत्तण्हं पुच्छाणं पुच्छति पुच्छंतं वा सातिज्जति । [१३४३] जे भिक्खू चउसु महामहेसु सज्झायं करेति करेंतं वा सातिज्जति त्ति तं जहा इंदमहे खंदमहे जक्खमहे भूतमहे । [१३४४] जे भिक्खू चउसु महापाडिवएस सज्झायं करेति करेंतं वा सातिज्जति तं जहासुगिम्हयपाडिवए आसाढीपाडिवए आसोयपाडिवए कत्तियपाडिवए | [१३४५] जे भिक्खू चाउकाल पोरिसिं सज्झायं उवातिणावेति उवातिणावेंतं वा सातिज्जति । [१३४६] जे भिक्खू असज्झाइए सज्झायं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [१३४७] जे भिक्खू अप्पणो असज्झाइयंसि सज्झायं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [१३४८] जे भिक्खू हेहिल्लाइं समोसरणाई अवाएत्ता उवरिम सुयं वाएति वाएंतं वा सा० | [१३४९] जे भिक्खू नव बंभचेराइं अवाएत्ता उत्तमसुयं वाएति वाएंतं वा सातिज्जति | [१३५०] जे भिक्खु अपत्तं वाएति वाएंतं वा सातिज्जति । [१३५१] जे भिक्खू पत्तं न वाएति न वाएंतं वा सातिज्जति । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [78] [३४-निसीह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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