Book Title: Agam 34 Nisiham Padhamam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 15
________________ गेरुयसंसटेण वा सेढियसंसटेण वा सोरट्ठिय संसटेण वा हिंगलसंसटेण वा अंजनसंसटेण वा लोद्धसंसटेण वा कुक्कससंसटेण वा पिट्ठसंसटेण वा कंदसंसट्टेण वा मूलसंसटेण उद्देसो-४ वा सिंगबेरसंसटेण वा iपुइरगसंसटेण वा उक्कुट्ठसंसटेण वा हत्थेण वा मत्तेण वा दव्वीए वा भायणेण वा असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [२३५] जे भिक्खू गामारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति । [२३६] जे भिक्खू गामारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति । [२३७] जे भिक्खू गामारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति | [२३८] जे भि देसारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति । [२३९] जे भिक्खू देसारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति | [२४०] जे भिक्खू देसारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति । [२४१] जे भिक्खू सीमारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति | [२४२] जे भिक्खू सीमारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति | [२४३] जे भिक्खू सीमारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति | [२४४] जे भिक्खू रण्णारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति । [२४५] जे भिक्खू रण्णारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति । [२४६] जे भिक्खू रण्णारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति | [२४७] जे भिक्खू सव्वारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिज्जति । [२४८] जे भिक्खू सव्वारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति । [२४९] जे भिक्खू सव्वारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिज्जति | [२५०] जे भिक्खू अन्नमन्नस्स पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा सातिज्जति | [२५१] जे भिक्खू अन्नमन्नस्स पाए संवाहेज्ज वा पलिमद्देज्ज वा संवाहेंतं वा पलिमदेंतं वा सातिज्जति । [२५२] जे भिक्खू अन्नमन्नस्स पाए तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा नवनीएण वा अब्भंगेज्ज वा मक्खेज्ज वा अब्भंगेंतं वा मक्खेंतं वा सातिज्जति । [२५३] जे भिक्खू अन्नमन्नस्स पाए लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज्ज वा उव्वट्टेज्ज वा उल्लोलेंतं वा उव्हेंतं वा सातिज्जति । २५४] जे भिक्ख अन्नमन्नस्स पाए सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा सातिज्जति । [२५५] जे भिक्खू अन्नमन्नस्स पाए फुमेज्ज वा रएज्ज वा फुतं वा रएंतं वा सातिज्जति [२५६] जे भिक्खू अन्नमन्नस्स कायं आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा सातिज्जति । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [14] [३४-निसीह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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