Book Title: Agam 34 Nisiham Padhamam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 21
________________ [३४२] जे भिक्खू सचित्ताइं दारुदंडाणि जाव वेत्तदंडाणि वा परि जति परिभुजंतं वा साति०| [३४३] जे भिक्खू चित्ताइं दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि वा वेत्तदंडाणि वा करेति करेंतं वा सातिज्जति । उद्देसो-५ [३४४] जे भिक्खू चित्ताइं दारुदंडाणि जाव वेत्तदंडाणि वा धरेति धरतं वा सातिज्जति । [३४५] जे भिक्खू चित्ताई दारुदंडाणि जाव वेत्तदंडाणि वा परि जति परिभुजंतं वा सातिज्जति । [३४६] जे भिक्खू विचित्ताइं दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि वा वेत्तदंडाणि वा करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३४७] जे भिक्खू विचित्ताइं दारुदंडाणि जाव वेत्तदंडाणि वा धरेति धरतं वा सातिज्जति | [३४८] जे भिक्खू विचित्ताई दारुदंडाणि जाव परि जति परिभुजंतं वा सातिज्जति । [३४९] जे भिक्खू नवग-निवेसंसि गामंसि वा नगरंसि वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा दोणमुहंसि वा पट्टणंसि वा आसमंसि वा निवेसणंसि वा निगमंसि वा संबाहंसि वा रायहाणिसि वा सन्निवेसंसि वा अनुप्पविसित्ता असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [३५०] जे भिक्खू नवग-निवेसंसि अयागरंसि वा तंबागरंसि वा तउआगरंसि वा सीसागरंसि वा हिरण्णागरंसि वा सुवण्णागरंसि वा रयणागरंसि वा वइरागरंसि वा अनुप्पविसित्ता असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति । [३५१] जे भिक्खू मुह-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५२] जे भिक्खू दंत-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५३] जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५४] जे भिक्खू नासा-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५५] जे भिक्खू कक्ख-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५६] जे भिक्खू हत्थ-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५७] जे भिक्खू नह-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५८] जे भिक्खू पत्त-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३५९] जे भिक्ख पप्फ-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३६०] जे भिक्खू फल-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३६१] जे भिक्खू बीय-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३६२] जे भिक्खू हरिय-वीणियं करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३६३] जे भिक्खू मुह-वीणियं वाएति वाएंतं वा सातिज्जति । [३६४] जे भिक्खू दंत-वीणियं वाएति वाएंतं वा सातिज्जति । [३६५] जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं वाएति वाएंतं वा सातिज्जति । [३६६] जे भिक्खू नासा-वीणियं वाएति वाएंतं वा सातिज्जति । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [20] [३४-निसीह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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