Book Title: Agam 34 Nisiham Padhamam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 20
________________ [३२३] जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं पडिच्छति पडिच्छंति वा साति० | [३२४] जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं परियट्टेति परियट्टेतं वा साति० | [३२५] जे भिक्खू अप्पणो संघाडि अन्नउत्थिएण वा गारत्थिएण वा सिव्वावेति सिव्वातं उद्देसो-५ वा सातिज्जति । [३२६] जे भिक्खू अप्पणो संघाडीए दीह-सुत्ताइं करेति करेंतं वा सातिज्जति | [३२७] जे भिक्खु पिउमंद-पलासयं वा पडोल-पलासयं वा बिल्ल-पलासयं वा सीओदग वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा संफाणिय-संफाणिय आहारेति आहारेंतं वा सातिज्जति | _[३२८] जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणयं जाइत्ता तमेव रयणिं पच्चप्पिणिस्सामि त्ति सुए पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । __ [३२९] जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणयं जाइत्ता सुए पच्चप्पिणिस्सामि त्ति तमेव रयणिं पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । [३३०] जे भिक्खू सागारियं-संतियं पायपुंछणयं जाइत्ता तमेव रयणिं पच्चप्पिणिस्सामि त्ति सुए पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । [३३१] जे भिक्खू सागारियं-संतियं पायपुंछणयं जाइत्ता सुए पच्चप्पिणिस्सामि त्ति तमेव रयणिं पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । [३३२] जे भिक्खू पाडिहारियं दंडयं वा लट्ठियं वा अवलेहणियं वा वेणुसूई वा जाइत्ता तमेव रयणिं पच्चप्पिणिस्सामि त्ति सुए पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । [३३३] जे भिक्खू पाडिहारियं दंडयं वा लट्ठियं वा अवलेहणियं वा वेणुसूई वा जाइत्ता सुए पच्चप्पिणिस्सामि त्ति तमेव रयणिं पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । [३३४] जे भिक्खू सागारिय-संतियं दंडयं वा लट्ठियं वा अवलेहणियं वा वेणुसूइं वा जाइत्ता सुए पच्चप्पिणिस्सामि त्ति तमेव रयणिं पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । ___ [३३५] जे भिक्खू सागारिय-संतियं दंडयं वा लट्ठियं वा अवलेहणियं वा वेणुसूई वा जाइत्ता सुए पच्चप्पिणिस्सामि त्ति तमेव रयणिं पच्चप्पिणति पच्चप्पिणंतं वा सातिज्जति । ___ [३३६] जे भिक्खू पाडिहारियं सेज्जा-संथारयं पच्चप्पिणित्ता दोच्चं पि अणणुण्णविय अहिढेति अहिéतं वा सातिज्जति । एवं सागारिय संतिए वि । ___ [३३७] जे भिक्खू पाडिहारियं वा सागारिय-संतियं वा सेज्जासंथारयं पच्चप्पिणित्ता दोच्चं पि अणणुण्णविय अहिडेति अहिद्वंतं वा सातिज्जति ।। __ [३३८] जे भिक्खू पाडिहारियं वा सागारिय-संतियं वा सेज्जासंथारयं अपच्चप्पिणित्ता दोच्चं पि अणणुण्णविय अहिडेति अहिडेंतं वा सातिज्जति । [३३९] जे भिक्खू सणकप्पासाओ वा उण्णकप्पासाओ वा पोंडकप्पासाओ वा अमिलकप्पासाओ वा दीह-सुत्तं करेति करेंतं वा सातिज्जति । ___ [३४०] जे भिक्खू सचित्ताइं दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि वा वेत्तदंडाणि वा करेति करेंतं वा सातिज्जति । [३४१] जे भिक्खू सचित्ताई दारुदंडाणि जाव वेत्तदंडाणि वा धरेति धरतं वा सातिज्जति | दीपरत्नसागर संशोधितः] [19] [३४-निसीह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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