Book Title: Agam 34 Nisiham Padhamam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 53
________________ [८७२] जे भिक्खू वण्णमंतं पडिग्गहं विवण्णं करेति करेंतं वा सातिज्जति | [८७३] जे भिक्खू विवण्णं पडिग्गहं वण्णमंतं करेति करेंतं वा सातिज्जति | [८७४] जे भिक्खू नो नवए मे पडिग्गहे लढे त्ति कट्ट सीओदग-वियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिज्जति । [८७५] जे भिक्खू नो नवए मे पडिग्गहे लद्धे त्ति कट्ट बहदेवसिएण सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिज्जति | [८७६] जे भिक्खू नो नवए मे पडिग्गहे लद्धे त्ति कट्ट कक्केण वा लोद्धेण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा आघंसेज्ज वा पघंसेज्ज वा आघसंतं वा पघंसंतं वा सातिज्जति । [८७७] जे भिक्खू नो नवए मे पडिग्गहे लद्धे त्ति कट्ट बहदेवसिएण कक्केण वा लोद्धेण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा आघंसेज्ज वा पघंसेज्ज वा आघंसंतं वा पघंसंतं वा सातिज्जति । [८७८] जे भिक्खू दुन्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धे त्ति कट्ट सीओदग-वियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिज्जति । [८७९] जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धे त्ति कट्ट बहुदेवसिएण सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिज्जति | [८८०] जे भिक्खू दुब्भिंगंधे मे पडिग्गहे लद्धे त्ति कट्ट कक्केण वा लोद्धेण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा आघंसेज्ज वा पघंसेज्ज वा आसंघंतं वा पघंसंतं वा सातिज्जति । [८८१] जे भिक्खू दुब्भिंगंधे मे पडिग्गहे लढे त्ति कट्ठ बहुदेसिएण कक्केण वा लोद्धेण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा आघंसेज्ज वा पघंसेज्ज वा आघसंतं वा पघसंतं वा सातिज्जति । [* एवं तेल्लेण वा घएण वा, नवनीएण वा, वसाए वा मक्खेज्ज वा, मिलिंगेज्ज वा, मक्खेंतं वा मिलिगेंतं वा सातिज्जति० एए चतारि आलावगा भणिया। [८८२] जे भिक्खू अनंतरहियाए पुढवीए जाव जीवपतिट्ठिए सअंडे जाव ससंकमणंसि चलाचले सपडिग्गहं आयावेज्ज वा पयावेज्ज वा आयातं वा पयावेतं वा सातिज्जति | [८८३] जे भिक्खू ससिणिद्वाए पुढवीए जाव पडिग्गहं आयावेज्ज वा जाव सातिज्जति | [८८४] जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए जाव पडिग्गहं आयावेज्ज वा जाव सातिज्जति । [८८५] जे भिक्खू मट्टियमकडाए पुढवीए जाव पडिग्गहं आयावेज्ज वा जाव सातिज्जति | [८८६] जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए जाव पडिग्गहं आयावेज्ज वा जाव सातिज्जति | [८८७] जे भिक्ख चित्तमंताए सिलाए जाव पडिग्गहं आयावेज्ज वा जाव सातिज्जति । [८८८] जे भिक्खू चित्तमंताए लेलूए जाव पडिग्गहं आयावेज्ज वा जाव सातिज्जति । [८८९] जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सओस्से सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडा संताणगंसि पडिग्गहं आयावेज्ज वा पयावेज्ज वा आयातं वा पयावेतं वा सातिज्जति | [८९०] जे भिक्खू थूणंसि वा गिहेलयंसि वा उसुकालंसि वा कामजलंसि वा अन्नयरंसि वा उद्देसो-१४ तहप्पगारंसि अंतरिक्खजायंसि दुब्बद्धे दुन्निक्खित्ते अनिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज्ज वा पयावेज्ज वा आयातं वा पयावेंतं वा सातिज्जति । दीपरत्नसागर संशोधितः] [52] [३४-निसीह] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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