Book Title: Agam 33A Maransamahim Dasamam Painnayam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 5
________________ गाहा-३३ [३३] तं नाऊण कसाए चउरो पंचहि य पंच हंतूणं । पंचासवे उदिण्णे पंचहि य महव्वय गणेहिं || [३४] छज्जीवनिकाए रक्खिऊण छलदोसवज्जिया जइणो । तिगलेसा-परिहीणा पच्छिम-लेसा-तिगजुआ य ।। [३५] एक्कग-दुग-तिग-चठ-पण सत्तट्ठग-नवदसग-ठाणेसु । असुहेसु विप्पहीणा सुभेसु सय संठिया जे उ ।। [३६] वेयण वेयावच्चे इरियट्ठए य संजमट्ठाए । तह पाणवतियाए छठं पुण धम्मचिंताए । [३७] छसु ठाणेसु इमेसु य अन्नयरे कारणे समुप्पन्ने । कडजोगी आहारं करंति जयणा निमित्तं तु ।। [३८] जोएसु किलायंता सरीर संकप्प चेह्रमचयंता । अविकप्पऽवज्जभीरू उवेंति अब्भुज्जयं मरणं ।। [३९] आयंके उवसग्गे तितिक्खया बंभचेर गुत्तीसु । पाणि-दया तव-हेडं सरीर-परिहार वोच्छेयो [४०] पडिमासु सीहनिक्कीलियासु घोरे अभिग्गहाईसु । छच्चिय अभिंतरए बज्झे य तवे समनुरत्ता ।। [४१] अविकलसीलाऽऽयारा पडिवन्ना जे उ उत्तमं अट्ठ | पुव्विल्लाण इमाण य भणिआ आराहणा चेव ।। [४२] जह पुव्वद्दयगमणो करणविहीणोऽवि सागरे पोओ तीरासन्नं पावइ रहिओऽवि अवल्लगाईहिं ।। [४३] तह सुकरणो महेसी तिकरण आराहओ धुवं होइ । अह लहइ उत्तमळं तं अइलाभत्तणं जाणं ।। [४४] एस समासो भणिओ परिणामवसेण सुविहियजनस्स | इत्तो जह करणिज्जं पंडियमरणं तहा सुणह ।। [४५] फासेहिंति चरितं सव्वं सुहसीलयं पयहिऊणं । घोरं परीसहचमु अहियासिंतो धिइबलेणं ।। [४६] सद्दे रुवे गंधे रसे य फासे य निग्घिण धिईए | सव्वेसु कसाएसु य निहंतु परमो सया होहि ।। [४७] चइऊण कसाए इंदिए य सव्वे य गारवे हंतुं । तो मलिय राग दोसो करेह आराहणासुद्धिं ।। [४८] दंसण-नाण-चरिते पव्वज्जाईसु जो अ अइयारो । तं सव्वं आलोएहि निरवसेसं पणिहियप्पा ।। [४९] जह कंटएण विद्धो सव्वंगे वेयणद्दिओ होइ । तह चेव उद्धियंमि उ निस्सल्लो निव्वुओ होइ ।। दीपरत्नसागर-संशोधितः [4] [३३/१|मरणसमाहित

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