Book Title: Agam 33A Maransamahim Dasamam Painnayam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 15
________________ गाहा - २०३ [२०३] बहुभयकर-दोसाणं सम्मत्त चरित्तगुण- विनासणं । न हु वसमागंतव्वं रागद्दोसाण पावाणं ।। [२०४] जं न लहइ सम्मत्तं लद्धूण वि जं न एड् वेरग्गं । विसयसुहेसु य रज्जइ सो दोसो राग-दोसाणं ।। [२०५] भवसयसहस्स- दुलहे जाइ - जरा - मरणसागरुत्तारे । जिनवयणम्मि गुणागर ! खणमवि मा काहिसि पमायं ।। [२०६] दव्वेहिं पज्जवेहि य ममत्तसंगेहिं सुठु वि जियप्पा । निप्पणय-पेमरागो जइ सम्मं नेइ मुक्खत्थं ।। [२०७] एवं कयसंलेहं अब्भिंतर बाहिरम्मि संलेहे । संसारमुक्खबुद्धी अनियाणो दानि विहराहि ।। [२०८] एवं कहिय समाही तहविह संवेगकरण- गंभीरो । आउर-पच्चक्खाणं पुनरवि सीहावलोएणं ।। [२०९] न हु सा पुनरुत्तविही जा संवेगं करेइ भण्णंती । आउर-पच्चक्खाणे तेण कहा जोइया भुज्जो || [२१०] एस करेमि पणामं तित्थयराणं अनुत्तरगईणं । सव्वेसिं च जिणाणं सिद्धाणं संजयाणं च ।। [२११] जं किंचि वि दुच्चरियं तमहं निंदामि सव्वभावेणं । सामाइयं च तिविहं तिविहेण करेमऽणागारं || [२१२] अब्भिंतरं च तह बाहिरं च उवहीं सरीरं साहारं । मन वयण काय तिकरण - सुद्धोऽहं मित्ति पकरेमि || [२१३] बंधपओसं हरिसं रइमरइं दीनयं भयं सोगं । राग-द्दोस विसायं उस्सुगभावं च पयहामि ।। [२१४] रागेण व दोसेण व अहवा अकयन्नुया पडिनिवेसेणं । जो मे किंचि विभणिओ तमहं तिविहेण खामेमि || [२१५] सव्वेसु य दव्वेसु य उवट्ठिओ एस निम्ममत्ताए । आलंबनं च आया दंसण नाणे चरित्ते य ।। [२१६] आया पच्चक्खाणे आया मे संजमे तवे जोगो । जिनवयणविहिविलग्गो अवसेसविहिं तु दंसेहि ।। [२१७] मूलगुण उत्तरगुणा जे मे नाराहिया पमाएणं । ते सव्वे निंदामि पडिक्कमे आगमिस्साणं || [२१८] एगो सयंकडाई आया मे नाण- दंसणवलक्खो । संजोगलक्खणा खलु सेसा मे बाहिरा भावा ।। [२१९] पत्ताणि दुहसयाई संजोगस्साणुएण जीवेणं । तम्हा अनंतदुक्खं चयामि संजोग - संबंधं ।। [दीपरत्नसागर-संशोधितः] [14] [३३ / १ | मरणसमाहि]

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