Book Title: Agam 33A Maransamahim Dasamam Painnayam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 13
________________ गाहा - १६९ [१६९] असमत्तसुओऽवि मुनी पुव्विं सुकय-परिकम्म-परिहत्थो । संजम-नियम-पइन्नं सुहुमत्तहिओ समण्णेइ ।। [१७०] न चयंति किंचि काउं पुव्विं सुकयपरिकम्मजोगस्स । खोहं परीसहचमू धिईबलपराइया मरणे ।। [१७१] तो तेऽवि पुव्वचरणा जयणाए जोगसंगह विहीहिं । तो ते करिंति दंसण चरित्तसइ भावनाहेउं ।। [१७२] जा पुव्वभाविया किर होइ सुई चरणदंसणे बहुहा । सा होइ बीयभूया कयपरिकम्मस्स मरणम्मि || [१७३] तं फासेहि चरितं तुमंपि सुहसीलयं पमुत्तूणं । सव्वं परीसहचमूं अहियासतो धिइबलेणं । [१७४] सद्दे रूवे गंधे रसे य फासे य सुविहिय सव्वेसु कसासु य निग्गहपरमो सया होहि ।। [१७५] सव्वे रसे पणीए निज्जूहेऊण पंतलुक्खेहिं । अन्नयरेणुवहाणेण संलिहे अप्पगं कमसो ।। [१७६] संलेहणा य दुविहा अब्भिंतरिया य बाहिरा चेव । अब्भितरिया कसा बाहिरिया होड़ य सरीरे ।। [१७७] उग्गम उप्पायण एसणाविसुद्धेण अन्नपानेणं । मिय-विरस-लुक्ख-लूहेण दुब्बलं कुणसु अप्पागं ।। [१७८] उल्लीणोल्लीणेहि य अहवन एगंतवद्धमानेहिं । संलिह सरीरमेयं आहारविहिं पयणुयंतो ।। [१७९] तत्तो अनुपुव्वेणाहारं उवहिं सुओवएसेणं । विविहतवोकम्मेहि य इंदियविक्कीलियाईहिं ।। [१८०] तिविहाहिं एसणाहि य विविहेहि अभिग्गहेहिं उग्गेहिं । संजममविराहिंतो जहाबलं संलिह सरीरं ।। [१८१] विविहाहि व पडिमाहि य बल वीरिय जई य संपहोइ सुहं । ताओ विन बाहिंती जहक्कमं संलिहंतम्मि || [१८२] छम्मासिया जहन्ना उक्कोसा बारसेव वरिसाइं । आयंबिलं महेसी तत्थ य उक्कोसयं बिंति ।। ! नेहिं । [१८३] छठ्ठट्ठमदसमदुवालसेहिं भत्तेहिं चित्तकट्ठेहिं । मिलहुकं आहारं करेहि आयंबिलं विहिणा ।। [१८४] परिवड्ढिओवहाणो ण्हारू विराविय वियड पांसुलि कडीओ । संलिहियतनुसरीरो अज्झप्परओ मुनी निच्चं || [१८५] एवं सरीर-संलेहणाविहिं बहुविहं पि फासिंतो । अज्झवसाणविसुद्धिं खणंपि तो मा पमाइत्था ।। [दीपरत्नसागर-संशोधितः] [12] [३३/१| मरणसमाहि]

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