Book Title: Agam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 189
________________ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा राओ वा वियाले वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहित्तए, नन्नत्थ एगेणं पुवपडिलेहिएणं सेज्जासंथारएण ॥४३॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा राओ वा वियाले वा वत्थं वा पडिग्गह वा कंबलं वा पायपुंछणं वा पडिग्गाहित्तए, नन्नत्थ एगाए हरियाहडियाए, साविय परिभुत्ता वा धोया वा रत्ता वा घट्ठा वा मट्ठा वा संपधृमिया वा ॥४४॥ - नो कप्पइ निग्गंथाण वा, निग्गंधीण वा राओ वा, वियाले वा, अद्धाणगमणं एत्तए ॥४५॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा संखडिं वा संखडिपडियाए अद्धाणगमणं एत्तए ॥४६॥ नो कप्पइ निग्गंथस्स एगाणियस्स राओ वा वियाले वा बहिया वियारभूमि वा, विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा । कप्पइ से अप्पबिइयस्स वा अप्पतइयस्स वा, राओ वा, वियाले वा बहिया वियारभूमि वा, विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥४७॥ नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए राओ वा क्यिाले वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा । कप्पइ से अप्पविइयाए वा अप्पतइयाए वा अप्पचउत्थीए वा राओ वा वियाले वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥४८॥ कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पुरथिमेणं जाव अंगमगहाओ एत्तए, दक्खिणेणं जाव कोसंबीओ, पच्चत्थिमेणं जाव थूणाविसयाओ, उत्तरेणं जाव कुणालाविसयाओ एत्तए, एतावताव कप्पइ, एतावताव आरिए खेत्ते, णो से कप्पइ एत्ती बाहिं । तेण परं जत्थ नाणदंसणचरित्ताई उस्सप्पंति-त्ति बेमि ॥४९॥ पढमो उद्देसो समत्तो ॥१॥

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