Book Title: Agam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 194
________________ वा उवज्झाए वा पवत्तए वा थेरे वा गणी वा गणहरे वा गणाक्च्छे यए वा जं चऽन्नं पुरओ कटु विहरइ कप्पइ से तन्नीसाए चेलं पडिग्गाहित्तए ॥१२॥ . ___ निग्गंथस्स णं तप्पढमयाए संपव्ययमाणस्स कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए तिहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, से य पुबोवहिए सिया एवं से नो कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए तिहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपन्चइत्तए, कप्पइ से अहापडिग्गहियाई वत्थाई गहाय आयाए संपव्वइत्तए ॥१॥ निग्गंथीए णं तप्पढमयाए संपन्वयमाणीए कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए चउहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपन्नइत्तए । सा य पुचोवद्विया सिया एवं से नो कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए चउहि कसिणेहिं वत्थेहि आयाए संपवइत्तए, कप्पई से अहापडिग्गहियाई वत्थाई गहाय आयाए संपव्वइत्तए ॥१४॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पढमसमोसरणुद्देसपत्ताई चेलाई पडिग्गाहित्तए । कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंथीण वा दोच्चसमोसरणुद्देशपत्ताई चेलाई पडिग्गाहित्तए ॥१५॥ कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंथीण वा अहारायणियाए चेलाई पडिग्गाहित्तए ॥१६॥ कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहारायणियाए सेज्जासंथारए पडिग्गाहित्तए ॥१७॥ ___ कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहारायणियाए किइकम्म करित्तए ॥१८॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरागिहंसि चिहित्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा निदाइत्तए व पयलाइत्तए वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारं आहरित्तए, उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिघाणं वा परिद्ववित्तए, सज्झायं वा करित्तए, शाणं वा झाइत्तए, काउस्सग्गं वा करित्तए, ठाणं वा ठाइत्तए । अह पुण एवं जाणेज्जा वाहिए जराजुण्णे तवस्सी दुब्बले किलंते मुच्छिज्ज वा पवडिज्ज वा एवं से कप्पइ अंतरागिहंसि चिद्वित्तए वा जाव ठाणं वा ठाइत्तए ॥१९॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरागिहंसि जाव चउग्गाहं वा पंचगाहं वा आइक्खित्तए वा विभावित्तए वा किट्टित्तए वा पवेइत्तए वा नन्नत्थ एगणाएण वा एगवागरणेण वा एगगाहाए वा एगसिलोएण वा, सेवि य ठिच्चा नो चेव णं अहिच्चा ॥२०॥

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