Book Title: Agam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 205
________________ कप्पइ निग्गंथाणं सावस्सयंसि आसणंसि चिट्ठित्तए वा निसीइत्तए वा ॥३७॥ नो कप्पइ निग्गंथीणं सविसाणंसि पीढंसि वा फलगंसि वा चिट्टित्तए वा निसीइत्तए वा ॥ ३८ ॥ कप्पइ निग्गंथाणं सविसाणंसि पीढंसि वा फलगंसि वा चिद्वित्तए वा निसीइत्तए वा ॥ ३९॥ नो कप्पइ निग्गंथीणं सवेंटगं लाउयं धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥४०॥ कप्पइ निग्गंथाणं सवेंटगं लाउयं धारित्तए वा परिहरित्तए बा ॥४१॥ नो कप्पइ निगंथीणं सबेंटियं पायकेसरियं धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥४२॥ कप्पइ निग्गंथाणं सबेटियं पायकेसरियं धारित्तए वा परिहरितए वा ॥४३॥ नो कप्पइ निग्गंथीणं दारुदंडयं पायपुंछणं धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥४४॥ कप्पइ निग्गंथाणं दारुदंडयं पायपुंछणं धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥ ४५ ॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अन्नमन्नस्स मोयं आपिबित्तए वा आयमित्तए वा, नन्नत्थ गाढागाडेहिं रोगायंकेहि ॥ ४६॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परियासिय भोयणजायं जाव तयप्प. माणमेत्तं वा भूइप्पमाणमेत्तं वा तोयबिंदुप्पमाणयेत्तं वा आहारं आहरित्तए, नन्नत्य गाढागाडेहिं रोगायंकेहि ॥४७॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परिवासिएणं आलेक्णजाएगे आलिंपित्तए । विलिंपित्तए वा, नन्नत्थ गाढागाढेहिं रोगायंकेहि ॥४८॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परिवासिएण तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा वसाए वा गायाई अब्भंगित्तए वा मक्खित्तए वा, नन्नत्य गाढागादेहि रोगायंकेहि ॥ ४९ ॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परिवासिएण कक्केण वा लोरेण वा पवणेण वा अन्नयरेण वा आलेवणजाएण गायाई उवलित्तए वा उध्वट्टित्तए वा, नन्नत्थ, गाढागाढेहिं रोगायंकेहिं ।। ५० ॥

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