Book Title: Agam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 206
________________ परिहारकप्पडिए भिक्खू पहिया येसामः वेयावडियाए गच्छेज्जा, से य आहञ्च अइक्कमिज्जा, तं च थेरा जाणिज्जा अप्पों आगमेणं अन्नेसि वा अंतिए मुच्चा, तो पच्छा तस्य अहालहुस्सए नाम ववश, पटवेयच्चे सिया ॥११॥ ____ निगंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविद्वाए अन्नयरे पुलागमते पजिम्माहिए: सिया, सा य संपाहिज्जा कप्पद से तदिवस तेणेक भनटेणं पज्योसवि. . तए, नो से कप्पइ कुष्यपि माहावाकुक पिंडवायपडियाए पविसितार, सा नो संवरिष्जा एवं से कपइ दुख्नपि माहावाकुर पिंडवावाडियार पविसिय ॥ ५२ ॥ ॥ पंचमो उसो समतो ॥५॥ MERA

Loading...

Page Navigation
1 ... 204 205 206 207 208 209 210