Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 02 Sthanakvasi Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 9
________________ नुकसान ही उठाना पड़ा यहां तक कि आप कर्जदार हो गये । धन चला गया किन्तु आप में नीति कायम थी। धन से भी आपने नीति को विशेष महत्ता दी। आप को साहुकारों का कर्ज शूल की तरह चूमने लगा। आपने हर परिस्थिति में कर्ज से मुक्त होने का निश्चय किया । कर्ज चुकाने के लिए आपने वहां नोकरी करली । कर्जा चुका देने पर आप फिर से अपने गांव कोठडी चले आये। वि. सं. १९८४ में श्री चिमनलालजी का शुभविवाह खण्डपनिवासी हिम्मतलालजी सुराणा की सुपुत्री श्री प्यारबाई के साथ सम्पन्न हुआ । विवाह के बाद वि. सं. १९८८ में आप कमाने के लिए अहमदाबाद पधार गये । आप के साथ आप के छोटे भ्राता रिखबचन्दजी साहब भी चले आये थे प्रारंभ में दोनों भाइयोंने दस रुपये प्रतिमास पर नौकरी करली। धीरे धीरे अपनी योग्यता व अपनी प्रतिभा के बल से दोनों भाइयोंने साधारण पूजी से कपडे की दुकान खोली। आप इस व्यवसाय में साहसपूर्वक अग्रसर हुए, थोडे ही वर्षों में आप की गणना नगर के प्रतिष्ठित लक्षाधिपति व्यापारियों में एवं प्रमुख व्यक्तियोंमें होने लगी। ___ आप के लघु भ्राता श्रीमान् रिखबचन्दजी का शुभविवाह 'अजित' निवासी श्री अन्नराजजी साहब की सुपुत्री पानबाई के साथ सम्पन्न हुआ। आप दोनों का पारिवारिक जीवन बडा सुखी है । आपके घर में सम्प और सम्पत्ति का एक सा आदर है। आप दोनों भाइयों का आपसी प्रेम राम लक्ष्मण के प्रेम का स्मरण दिलाता है। परिवार के इस सुखमय जीवन को देखकर श्रीमती खेतुबाई फूली नहीं समाती। ऐसा आनन्द का अवसर संसार की कम माताओं को ही प्राप्त होता है। इस समय खेतुबाई शरीर से (७५) वर्ष की वृद्धा है, किन्तु हृदय से युवा है । अब भी समय समयपर अपने परिवार को अपने जीवन के मुख्य अनुभवों से मार्ग दर्शनक राती हती है। सामायिक प्रतिक्रमण मुनिदर्शन आपके दैनिक जीवन के अंग हैं। आपका प्रायः समय धार्मिक कार्यों में ही व्यतीत होता है। आपका परिवार इस प्रकार है__आप के दो पुत्र हैं श्रीमान् चिमनलालजी सा. एवं रिखबचन्दजी सा. श्रीमान् चिमनलालजी साहब की पांच पुत्रियां हैं जिनके नाम ये हैं-१ बदामबाई २ खमाबाई ३ जम्मुबाई ४ सरस्वतीबाई ५ एवं धापुबाई । श्रीमान् શ્રી રાજ,શ્રીય સૂત્ર: ૦૨Page Navigation
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