Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 14 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 5
________________ મળવાનું ઠેકાણું' 3 श्री मला.. स्थानवासी જૈનશાસ્ત્રોદ્ધાર સમિતિ, है. गरेडिया वा रोड, राष्ट, ( सौराष्ट्र ). 品 ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यवज्ञां, जानन्ति ते किमपि तान् प्रति नैष यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्ययं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥ १ ॥ Published by : Shri Akhil Bharat S. S. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra ), W. Ry, India. 品 हरिगीतच्छन्दः करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके लिये । जो जानते हैं तत्र कुछ फिर यत्न ना उनके जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्त्व इससे है काल निरवधि विपुलपृथ्वी ध्यान में यह लायगा ॥ १ ॥ लिये ॥ पायगा । પ્રથમ આવૃત્તિ પ્રત ૧૨૦૦ વીર સંવત ૨૪૯૬ વિક્રમ સંવત ૨૦૨૬ ઇસવીસન १८७० શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૪ भूस्यः ३. २५=00 : मुद्र४ : મણિલાલ છગનલાલ શાહ નવપ્રભાત પ્રિન્ટીંગ प्रेस, घीठांटा रोड़, अभहाबाई,

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