Book Title: Agam 04 Samvayang Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 84
________________ आगम सूत्र ४, अंगसूत्र-४, 'समवाय' समवाय/ सूत्रांक और उत्कृष्ट शरीर-अवगाहना (बादर वनस्पतिकायिक की अपेक्षा) कुछ अधिक एक हजार योजन कही गई है। इस प्रकार जैसे अवगाहना संस्थान नामक प्रज्ञापना-पद में औदारिकशरीर की अवगाहना का प्रमाण कहा गया है, वैसा ही यहाँ सम्पूर्ण रूप से कहना चाहिए । इस प्रकार यावत् मनुष्य की उत्कृष्ट शरीर-अवगाहना तीन गव्यूति कही गई है। भगवन् ! वैक्रियशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! वैक्रियशरीर दो प्रकार का कहा गया हैएकेन्द्रिय वैक्रियिक शरीर और पंचेन्द्रिय वैक्रियिक शरीर । इस प्रकार यावत् सनत्कुमार-कल्प से लेकर अनुत्तर विमानों तक के देवों का वैक्रियिक भवधारणीय शरीर कहना । वह क्रमशः एक-एक रत्नि कम होता है। भगवन् ! आहारकशरीर कितने प्रकार का होता है ? गौतम ! आहारक शरीर एक ही प्रकार का कहा गया भगवन् ! यदि एक ही प्रकार का कहा गया है तो क्या वह मनुष्य आहारकशरीर है अथवा अमनुष्यआहारक शरीर है ? गौतम ! मनुष्य-आहारकशरीर है, अमनुष्य-आहारक शरीर नहीं है। भगवन् ! यदि वह मनुष्य-आहारक शरीर है तो क्या वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है, अथवा सम्मूर्छिम मनुष्य-आहारक शरीर है ? गौतम ! वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है। भगवन् ! यदि वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है, तो क्या वह कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य -आहारकशरीर है, अथवा अकर्मभूमिज-गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर है ? गौतम ! कर्मभूमिज गर्भोप-क्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर है, अकर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर नहीं है। भगवन् ! यदि कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, तो क्या वह संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, अथवा असंख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यआहारक शरीर हैं ? गौतम ! संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर हैं, असंख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर नहीं है। भगवन् ! यदि संख्यात-वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, तो क्या वह पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, अथवा अपर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं ? गौतम ! पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, अपर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यआहारक शरीर नहीं हैं। भगवन् ! यदि वह पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारक शरीर हैं, तो क्या वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात-वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, अथवा मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गभोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, अथवा सम्यमिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं ? गौतम ! वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर हैं, न मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं और न सम्यमिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर हैं। भगवन् ! यदि वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, तो क्या वह संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, अथवा असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं, अथवा संयतासंयत पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं ? गौतम ! वह संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, न असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारकशरीर हैं और न संयतासंयत पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य-आहारक शरीर हैं। भगवन् ! यदि वह संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य मुनि दीपरत्नसागर कृत्' (समवाय) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 84

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