Book Title: Agam 04 Samvayang Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 94
________________ आगम सूत्र ४, अंगसूत्र-४, 'समवाय' समवाय/ सूत्रांक भयाली, २०. द्वीपायन, २१. नारद, २२. अंबड, २३. स्वाति, २४. बुद्ध । ये भावि तीर्थंकरों के पूर्व भव के नाम जानना चाहिए। सूत्र - ३६५ उक्त चौबीस तीर्थंकरों के चौबीस पिता होंगे, चौबीस माताएं होंगी, चौबीस प्रथम शिष्य होंगे, चौबीस प्रथम शिष्याएं होंगी, चौबीस प्रथम भिक्षा-दाता होंगे और चौबीस चैत्य वृक्ष होंगे। इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी में बारह चक्रवर्ती होंगे । जैसेसूत्र-३६६, ३६७ १. भरत, २. दीर्घदन्त, ३. गूढदन्त, ४. शुद्धदन्त, ५. श्रीपुत्र, ६. श्रीभूति, ७. श्रीसोम, ८. पद्म, ९. महापद्म, १०. विमलवाहन, ११. विपुलवाहन, बारहवाँ रिष्ट, ये बारह चक्रवर्ती आगामी उत्सर्पिणी काल में भरतक्षेत्र के स्वामी होंगे। सूत्र - ३६८ इन बारह चक्रवर्तियों के बारह पिता, बारह माता और बारह स्त्रीरत्न होंगे। इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में नौ बलदेवों और नौ वासुदेवों के पिता होंगे, नौ वासुदेवों की माताएं होंगी, नौ बलदेवों की माताएं होंगी, नौ दशार-मंडल होंगे । वे उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष, प्रधान पुरुष, ओजस्वी, तेजस्वी आदि पूर्वोक्त विशेषणों से युक्त होंगे । पूर्व में जो दशार-मंडल का विस्तृत वर्णन किया है, वह सब यहाँ पर भी यावत् बलदेव नील वसन वाले और वासुदेव पीत वसन वाले होंगे, यहाँ तक ज्यों का त्यों कहना चाहिए । इस प्रकार भविष्यकाल में दो दो राम और केशव भाई होंगे । उनके नाम इस प्रकार होंगेसूत्र - ३६९, ३७० __१. नन्द, २. नन्दमित्र, ३. दीर्घबाहु, ४. महाबाहु, ५. अतिबल, ६. महाबल, ७. बलभद्र, ८. द्विपृष्ठ और ९. नौ आगामी उत्सर्पिणी काल में नौ वृष्णी या वासुदेव होंगे। तथा १. जयन्त, २. विजय, ३. भद्र, ४. सुप्रभ, ५. सुदर्शन, ६. आनन्द, ७. नन्दन, ८. पद्म और अन्तिम संकर्षण ये ९ (नौ) बलदेव होंगे। सूत्र - ३७१ इन नवों बलदेवों और वासुदेवों के पूर्वभव के नौ नाम होंगे, नौ धर्माचार्य होंगे, नौ निदानभूमियाँ होंगी, नौ निदान-कारण होंगे और नौ प्रतिशत्र होंगे । जैसेसूत्र - ३७२, ३७३ १. तिलक, २. लोहजंघ, ३. वज्रजंघ, ४. केशरी, ५. प्रभराज, ६. अपराजित, ७. भीम, ८. महाभीम और ९. सुग्रीव । कीर्तिपुरुष वासुदेवों के ये नौ प्रतिशत्रु होंगे । सभी चक्रयोधी होंगे और युद्ध में अपने चक्रों से मारे जाएंगे। सूत्र - ३७४-३८१ इसी जम्बूद्वीप के ऐरवत वर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में चौबीस तीर्थंकर होंगे। जैसे- १. सुमंगल, २. सिद्धार्थ, ३. निर्वाण, ४. महायश, ५. धर्मध्वज, ये अरहन्त भगवंत आगामी काल में होंगे, पुनः ६. श्रीचन्द्र, ७. पुष्पकेतु, ८. महाचन्द्र केवली और ९. श्रुतसागर अर्हत् होंगे, पुनः १०. सिद्धार्थ, ११. पूर्णघोष, १२. महाघोष केवली और १३. सत्यसेन अर्हन् होंगे, तत्पश्चात् १४. सूरसेन अर्हन्, १५. महासेन केवली, १६. सर्वानन्द और १७. देवपुत्र अर्हन् होंगे । तदनन्तर, १८. सुपार्श्व, १९. सुव्रत अर्हन्, २०. सुकोशल अर्हन् और २१. अनन्तविजय अर्हन् आगामी काल में होंगे । तदनन्तर, २२. विमल अर्हन्, उनके पश्चात् २३. महाबल अर्हन् और फिर, २४. देवानन्द अर्हन आगामी काल में होंगे । ये ऊपर कहे हए चौबीस तीर्थंकर केवली रवत वर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में धर्म-तीर्थ की देशना करने वाले होंगे सूत्र - ३८२ (इसी जम्बूद्वीप के ऐरवत वर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में) बारह चक्रवर्ती होंगे, बारह चक्रवर्तियों के पिता होंगे, उनकी बारह माताएं होंगी, उनके बारह स्त्रीरत्न होंगे । नौ बलदेव और वासुदेवों के पिता होंगे, नौ मुनि दीपरत्नसागर कृत्' (समवाय) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 94

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