Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 413
________________ ८२० ठाणं दसविधा सव्वजीवा पग्णत्ता,तं जहा-पूढविकाइया', 'आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया,° वणस्सइकाइया, बेदिया', 'तेइंदिया, चउरिदिया, पंचेंदिया, अणिदिया। अहवा--दसविधा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा-पढमसमयणेरइया, अपढमसमयणेरइया', 'पढमसमयतिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमणया, अपढमसमयमणुया, पढमसमयदेवा , अप ढमसमयदेवा, पढमसमय सिद्धा, अपढमसमयसिद्धा ।। सताउय-दसा-पदं १५४. वाससताउयस्स णं पुरिसस्स दस दसाओ पण्णत्ताओ, तं जहासंगह-सिलोगो बाला किड्डा मंदा, बला पण्णा हायणी । पवंचा पब्भारा, मुम्मुही सायणी तधा ॥१॥ तणवणस्सइ-पदं १५५. दसविधा तणवणस्सतिकाइया पण्णत्ता, तं जहा-मूले, कंदे', 'खंधे, तया, साले, पवाले, पत्ते , पुप्फे, फले, बोये ॥ सेढि-पदं १५६. सव्वाओवि णं विज्जाहरसेढीओ दस-दस जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता ॥ १५७. सव्वाओवि णं आभिओमसेढीओ दस-दस जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता ! गेविज्जग-पदं १५८. गेविज्जगविमाणा णं दस जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता॥ तेयसा भासकरण-पदं १५६. दसहिं ठाणेहिं सह तेयसा भास कुज्जा, तं जहा १. केइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासातेज्जा, से य अच्चासातिते १. सं० पा०-पूढविकाइया जाव वणस्स इका इया। २. सं० पा० - बेंदिता जाव पंचेंदिता । ३, सं० पा०-अपढमसमयणेरतिता जाव अपढ़मसमयदेवा । ४. बंभारा (ग)। ५. द्रष्टव्यम् – दशवकालिकनियुक्ति १० : बाला किड्डा मंदा बला य पन्ना य हायणि पवंचा पब्भार मम्मुही सायणी। य दसमा उ कालदसा ॥१०॥ ६. सं० पा०-कदे जाव पुप्फे। ७. तेतसा (क, ख, ग)। ८. कति (म)! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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