Book Title: Agam 01 Aayaro Padhamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-३, उद्देसो-३ तड़ए अज्झयणे बीओ उद्देसो समत्तो • तइओ उद्देसो • [ १२५] संधि लोगस्स जाणिता आयओ बहिया पास तम्हा न-हंता न विधायए, जमिणं अन्नमन्न वितिगिच्छाए पडिलेहाए न करेइ पावं कम्मं किं तत्थ मुनी कारणं सिया ? | [१२६] समयं तत्थुवेहाए अप्पाणं विप्पासयए I अनन्नपरमं नाणी नो पमाए कयाइ वि । आयगुत्ते सया वीरे जायामायाए जावए || [१२७] विरागं रुवेहिं गच्छेज्जा महया खुड्डएहि वा आगतिं गतिं परिण्णाय दोहिं वि अंतेहिं अस्सिमाणेहिं से न छिज्जइ न भिज्जइ न डज्झइ न हम्मइ कंचनं सव्वलोए । [१२८] अवरेण पुव्वं न सरंति एगे, किमस्स तीतं ? किं वागमिस्सं ? | भासंति एगे इह माणवा उ, जमस्स तीतं तमागमिस्सं । [१२९] नातीतमट्ठे न य आगमिस्सं, अहं नियच्छंति तहागया उ । विधूत कप्पे एयाणुपस्सी निज्झोसइत्ता खवगे महेसी || [१३०] का अरई के आनंदे ? एत्थपि अग्गहे चरे, सव्वं हासं परिच्चज्ज, आलीण-गुतो परिव्वए । पुरिसा ! तुममेव तुमं मित्तं किं बहिया मित्तमिच्छसि ?। [१३१] जं जाणेज्जा उच्चालइयं तं जाणेज्जा दूरालइयं जं जाणेज्जा दूरालइयं तं जाणेज्जा उच्चालइयं, पुरिसा अत्ताणमेव अभिनिगिज्झ एवं दुक्खा पमोक्खसि पुरिसा सच्चमेव समभिजाणाहि, सच्चस्स आणाए उवट्ठिए से मेहावी मारं तरति, सहिए धम्ममादाय सेयं समनुपस्सति । [१३२] दुहओ जीवियस्स परिवंदन - मानन पूयणाए जंसि एगे पमादेंति । [१३३] सहिए दुक्खमत्ताए पुट्ठो नो झंझाए, पासिमं दविए लोयालोय - पवंचाओ मुच्चई, तिमि । तड़ए अज्झयणे तड़ओ उद्देसो समत्तो • चउत्थो - उद्देसो • [१३४] से वंता कोहं च मानं च मायं च लोभं च एयं पासगस्स दंसणं उवरयसत्थस्स पलियंतकरस्स आयाणं सगडब्भि । [१३५] जे एगं जाणइ से सव्वं जाणइ जे सव्वं जाणइ से एगं जाणइ । [१३६] सव्वतो पमत्तस्स भयं सव्वतो अप्पमत्तस्स नत्थि भयं, जे एगं नामे से बहु ना जे बहुनामे से एगं नामे, दुक्खं लोयस्स जाणित्ता वंता लोगस्स संजोगं जंति वीरा महाजाणं परेण परं जंति, नावकखंति जीवियं । [१३७] एगं विगिंचमाणे पुढो विगिंचइ, पुढो विगिंचमाणे एगं विगिंचइ, सड्ढी आणाए मेहावी लोगं च आणाए अभिसमेच्चा अकुतोभयं, अत्थि सत्थं परेण परं, नत्थि असत्थं परेण परं । [१३८] जे कोहदंसी से मानदंसी, जे मानदंसी से मायादंसी जे मायादंसी से लोभदंसी, जे लोभदंसी से पेज्जदंसी, जे पेज्जदंसी से दोसदंसी, जे दोसदंसी से मोहदंसी, जे मोहदंसी से गब्भदंसी, जे [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [13] [१-आयारो]

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