Book Title: Agam 01 Aayaro Padhamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 28
________________ तणाई जाएज्जा जाव संथरेत्ता एत्थ वि समए कायं च जोगं च इरियं च पच्चक्खाएज्जा तं सच्चं सच्चावादी ओए तिन्ने छिन्न-कहकहे आतीतढे अनातीते चिच्चाण भेउरं कायं संविहणिय विरुवरुवे परिसहोवसग्गे अस्सिं विस्सं भइत्ता भेरवमनचिण्णे तत्थवि तस्स कालपरियाए, से तत्थ विअंतिकारए, इच्चेतं विमोहायतणं हियं सुहं खमं निस्सेयसं आनगागामियं, - त्तिबेमि | अङ्कमे अज्झयणे .सत्तमो उद्धेसो.समत्तो अहमो- उद्धेसो . [२४०] आनपुव्वी-विमोहाइं, जाइं घीरा समासज्ज । वसमंतो मइमंतो, सव्वं नच्चा अनेलिसं ।। [२४१] दुविहं पि विदित्ताणं, बुद्धा धम्मस्स पारगा । अनुपुव्वीए संखाए, आरंभाओ तिउति ।। [२४२] कसाए पयणए किच्चा, अप्पाहारो तितिक्खए । अह भिक्खू गिलाएज्जा, आहारस्सेव अंतियं ।। स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-८, उद्देसो-८ [२४३] जीवियं नाभिकंखेज्जा, मरणं नोवि पत्थए । दुहतो वि न सज्जेज्जा, जीविते मरणे तहा ।। [२४४] मज्झत्थो निज्जरापेही, समाहिमनपालए । अंतो बहिं विउसिज्ज, अज्झत्थं सुद्धमेसए ।। [२४५] जं किंचुवक्कम जाणे, आउक्खेमस्स अप्पणो । तस्सेव अंतरद्धाए, खिप्पं सिक्खेज्ज पंडिए || [२४६] गामे वा अवा रणो, थंडिलं पडिलेहिया । अप्पपाणं तु विन्नाय, तणाई संथरे मनि ।। [२४७] अणाहारो तुअट्टेज्जा, पुट्ठो तत्थहियासए । नातिवेलं उवचरे, माणुस्सेहिं वि पुद्दुओ ।। [२४८] संसप्पगा य जे पाणा, जे य उड्ढमहेचरा । भंजंति मंस-सोणियं, न छणे न पमज्जए ।। [२४९] पाणा देहं विहिंसंति, ठाणाओ न विउब्भमे । आसवेहिं विवित्तेहिं, तिप्पमाणोऽहियासए । [२५०] गंथेहिं विवित्तेहिं, आउ-कालस्स पारए ।। पग्गहियतरगं चेयं, दवियस्स वियाणतो [२५१] अयं से अवरे धम्मे, नायपत्तेण साहिए । आयवज्जं पडीयारं, विजहिज्जा तिहा तिहा ।। [२५२] हरिएसु न निवज्जेज्जा, थंडिलं मुणिआ सए । विउसिज्ज अणाहारो, पट्ठो तत्थऽहियासए ।। [२५३] इंदिएहिं गिलायंते, समियं आहरे मनी । तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [27] [१-आयारो]

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