Book Title: Agam 01 Aayaro Padhamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
[३०२]
[ ३०३]
[ ३०४]
[ ३०५ ]
[ ३०६ ] लाढेहिं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं ९ उद्देसो-३
[३०७]
[ ३०८]
अह लूहदेसिए भत्ते, कुक्कुरा तत्थ हिंसिंसु नितिं अप्पे जने निवारेइ, लूसणए सुणए दसमाणे | छुछुकारंति आहंसु समणं, कुक्कुरा डसंतुति ॥ एलिक्खए जना भुज्जो, बहवे वज्जभूमि फरुसासी । लट्ठि गहाय नालीयं, समणा तत्थ एव विहरिं ।। एवं पि तत्थ विहरंता, पुट्ठपुव्वा अहेसि सुणएहिं । संलुंचमाणा सुणएहिं दुच्चराणि तत्थ लाढेहिं ।। निधाय दंड पाणेहिं तं कायं वोसज्जमनगारे । अह गामकंटए भगवं, ते अहियासए अभिसमेच्चा नागो संगामसीसे वा, पारए तत्थ से महावीरे । एवं पि तत्थ लाढेहिं, अलद्धपुव्वो वि एगया गाम ।। उवसंकमंतमपडिण्णं, गामंति पि अप्पत्तं I पडिनिक्खमित्तु लूसिंसु एत्तो परं पलेहित्ति || [३१३] हयपुव्वो तत्थ दंडेण, अदुवा मुट्ठिणा अदु कुंतफलेण । अदु लेलुणा कवालेणं, हंता हंता बहवे कंदिंसु ।। [ ३१४] मंसाणि छिन्नपुव्वाइं, उटुंभिया एगया कार्य I परीसहाई लुंचिसु, अहवा पंसुणा उवकिरिंसु ||
||
[ ३१५] उच्चालइय निहणिंसु, अदुवा आसणाओ खलइंसु । वोसट्ठकाए पणयाऽऽसी, दुक्खसहे भगवं अपडणे ।। [३१६] सूरो संगामसीसे वा, संवुडे तत्थ से महावीरे । पडिसेवमाणे फरुसाई, अचले भगवं रीइत्था || एस विही अणुक्कंतो, माहण मईया I
[ ३०९]
[३१०]
[३११]
पिहिया व सक्खामो अतिदुक्खं हिमग-संफास || तंसि भगवं अपडिण्णे, अहे वियडे अहियासए दविए । निक्खम्म एगदा राओ, चाएइ भगवं समियाए || एस विही अणुक्कंतो, माहण मईया I अपडणेण वीरेण, कासवेण महेसिणा त्तिबेमि ॥ नवमे अज्झयणे बीओ उद्देसो समत्तो
• तइओ उद्देसो •
तणफासे सीयफासे य, तेउफासे य दंस-मसगे य अहियास सया समिए, फासाइं विरुवरुवाइं || अह दुच्चर-लाढमचारी, वज्जभूमिं च सुब्भभूमिं च । पंतं सेज्जं सेविंसु, तस्सुवसग्गा,
आसणगाणि चेव पंताई || बहवे जाणवया लूसिं ।
[३१२]
[३१७] [दीपरत्नसागर संशोधितः ]
-
[31]
[१-आयारो]

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103