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दृश्दांततेकी दिविि निपन्यानोपन्
धपकार
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वेश्वेदिने । अनेरा
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आचारो शिवा दंतकुम्मायक दिविदावा वे दिमा। नयरा तताका विविविश्वरूपच चक्र इंडियन विश्यना का नानादिश
२० मनमा
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र जानदेवान)
लग्नही समुधर
हेवीतवाने
तराई विरु वरु का वरदं मया । एनिसंधारेड
गतिदाजा एण्ड एण्जी जज सोनापरे ससर्वनानां विचार जाएदा 11 इवानवबे 可 एवो A परं रुरु एनअधिकारके हिवताप हातरे सो वाईएवाक्य डिमोइत्यपी गम एमए । शरवणेय छ । जहा सद्दपति॥स नावाच्या व एतले सर्व जीव जननाना पत्रकात महारुपना सा बांकी वालेस षेचना क्या दूसरोवरसमुड्सरो वरनीति घणासरो वरना एक्तित्यादिकमेव रूपादीक जो वाजा नही बीजेस काना कवनस्पती ना जा लगहन वनस्पती वनमिवन पर्वत पर्वतमा दुर्गम स्थानक ए किया | १६ | व्यादिक नैतिषेस एजी दोन जाय स्त्रीजेस त्रेग्रामः नगरनीगमराजस्थानीः प्राश्रामए
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