Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 564
________________ निरंतर | नसते १लगाकर तत्तिहा पाएपथमा लेनदी नियं । अवारंवार सीनीक नानाको लबजानावनातेकदेबे यसापू एतेक देना आचारे पवनारणास्ववितशिनापरमानावणणोरियायेअनिरकरण२३छि | कनकूहएतावतास्मीनार पदेस के केवल बूबो नियंथ | अवारंवार छीमाटुंगार रंगारा ट्रिकनेछएफनवाईतेकारग्यानी। कारणांककथा एकहेसि कदाचित कुदतीथको सिकन्दाकदत्तयागकेवलियाणिगंथे|अनिरकरणरायण । सन्मांतिवारि संसातिबुन |मानं वियानेसमाधिनीचयनोनंग नेपलेदपामे जे कहंकहेमाणसंति-नेवासतिदिनंगासंतिकेरलीपन्नता धम्मा TRaसमा महानिअशिक्ष| इस्मा | कक । सिनही । पथम ततिशीका पंचसा रिंकरवलिन कुश्क सेकासम्हाणोहिगांअतिरकालीएकतिसिथतिपटमा संसांति के बल । ५० परप्पा कोष्ट काना JainEducation FEmorUSED Sewindsiellbary.org

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