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शरई
आचारां दिसलंग्यंति न६ एचकेर हो पयाय एंगोय विएिस मिड्ा । ते सिं श६
एकता नगरं पविवार नागा समासय् | तो संजमो यमुति करो | इन्हें दिस
सो सगलाई नय नैगम संग्रहादिक घोक्त देता बेसन लीलय होते ते समस्त नयनो शिशु ६ परमार्थ एजाए वो जैसा रिजियो चरण का ज्ञान मायोग/मोरको जिएसासणे न शिवं इस है सिनिया / बुक विवज्ञयं क्रियादिस्थित रहो साग्यांने करीस गुना जागे किया कूरी सम्म ग्यालि दोएत ले मोय परमार्थ जा यिनःसनाले राजाइना वेदसेएससद्द हेतु र गिता परिई राति करनातू तथायतः नादांचे रितेत होत हो एस मशिल से जियो हिंवर दं सिहि। विशतितर शेते वक्त इि निसामित्ता तसच नये विस ६॥ जंव
हिसा
वचनात्