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५७) एतावता मदइए) समजावणाच्या राहिया विनवत मुमुदात्तसमा दत्ता दग्न अाथ दिवे पर नंगात स्पष स सर्वथ नोरम निदर्त्तव प्रायमेरो वे थे। वलुग्ये परम्परा जो त्या व्यानर नीरुषसँ अंते महवयं चाप) दाद स्वयंम्नतम पत्र काम समे सिष्तेनेयन मनुष्यसं । तिति विसंबंधि
म्याईपरिहरु
जोगक
ऐन हिसा पपेने धुन से नहाने हिमैथुन से दान दो मैख नसे व तो मनेरी तेह नेअनुमो नदी विवि५२३ केजीक
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से दिघंचा। म] एफस्स च्॥ तिरिरक जो हियं वा ॥ ऐक्स मेहगाव जाव तते प्रतीतकाले जे की धोने एन से दशा दोननीप व्यक्त वृता जी एण्टी
जा जाक्पमिनि डुंगरपए पो दो सि रबुंधा
ततेोथा महा जतन पंचनाव
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संदेवा दिला दाण्द तयांना गिया / जाव वो सिरामि || तस्सिमा
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