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दिग्देवतास बुधिया ३० नारू रूपस होने दे दी पमान एव
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शयादिवरस्यरु देयं सी हासरा महरिहास
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दययति विरुगा थाक देते कथं नु जिन लिंगत बेः।। खोप देवतासंब दे दी मानबो सरीर मेहनौन आन नायर दोर
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रबी दिंवरा चरण धरि स्वोर्भयव
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दिवे एहवीसीबी का स्वामी मस्तक नेमाने मालाए हम मुकटेकरी सोनाम
रस्साभाच्या जयमाल को ना स्योः महरनोमुलसलाय मैन तेजस पे करतिबिंबतो महादेदीप्यमानम मूल्य पापी ही का सही तरह वो सिंहास विकडिएको सिविकाऊ प्रजिन व महावीरप्रस्थ तास्वा मावीर ३६ मानते अवसरेन् यो जस्सूनुस यस दस्सं
बांग
मनोहर एवोच्य ध्यवसायते देव | जि。जिनति थे करनी ने स्पा उत्तम तेरी क री दिविष्ठ आमचा रीश० निर्मलता इथकावली स्वामी के दवा लय मालमउ मस्त. | कने विषे जे भुगरते लाग्या बेच्ने कमाला एदवे मुकरे
अवसाणंदरे जिगोले सा हिंदिशं तो करी मीना यमान कमारुतीय
तमसि | विकाव |