Book Title: Acharang Sutram
Author(s): Devchandrasagarsuri
Publisher: Vardhaman Jain Agam Tirth

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ A पू. गच्छाधिपतिश्री की भावना थी की ये चातुर्मास की यादगिरि निमित्त आचारांग सूत्र का एक अध्ययन तो पुस्तकाकारे छपवाना है इसकी फलश्रुति रूप ये आगम छपवाया है। .... वीर संवत २५३९, वि.सं.२०६९, सन.२०१२, का. सु. ५ रविवार किंमतः पठन पाठन सम्पादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमणभगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छे अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानु ए शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थंकरदेवोनी अविद्यमानतामां तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरुप होय छे. श्री तीर्थंकरदेवोओ अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवोए सूत्रथी गूंथेल ए जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे. विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमां मुख्यतया ४५ आगम गणाय छे. ते उपरांत पण ८४ आगमनी गणतरीने हिसाबे बीजं पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे. आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचाइ छे. अने एथी सूत्र सहित आगमनी ए पंचांगी- जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्रांचा तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे. सम्यगदर्शन, सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छे. .४.. पंचांगीनी वाचना, पृच्छना,परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पांचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमां सम्यग्ज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तैनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल, अने ए चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल. वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल. ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छे. Natta श्री आचारांग सूत्रम् (002)

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 146