Book Title: Achar Pradip
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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तमि अहीए विहिणा। ६७-१-११
। देहमि असंलिहिए। ८४-१-१ तं रूवं जत्थ गुणा। ३१-२-६ । दवओ खित्तो चेव । ६७-२-१२ | दैवमुल्लच यत्कार्य । ३-२-१२ ताणं च ऊसवाइसु । ४९-२-१० दवओ चक्खुसा पेहे। ६७-२-१२ | दौःस्थ्य नाम पराभूतेः। ३३-१-१० ता तं गोयम ! एगग्ग०। ८९-१-७ दसवासस्स विवाहो १२-१-४
ता ताण पाणभोयण। ४९-२-६ दंसणनाणचरित्ते। ८८-१-७ धर्मपराणां पुंसां । ३२-२-५ सता तुंगो मेरुगिरी। ५७-२-४ दाने तपसि शौर्य च। ४३-२-१५ | धारिजइ एंतो जल० । २८-१-८
ता नाणाईविसए। ४९-१-५ दानोपभोगवन्ध्यायाः । ६४-२-१ | घिद्धी अहो अणज्जो। ८९-२-१ ताम्बूलं देहसत्कारः। २३-२-१४ दासेरोऽपि गृहस्वा०। ३१-२-३ । धीरेणवि मरियो । ३२-२-६ तावञ्चन्द्रबलं ततो ग्रह०१५९-२-१२ | दिग्गजकर्मकुलाच०। ४१-१-१
न वित्थयरसिद्धकुलगण. । ८८-१- दुगतिग चउक्कपणगं। ७१-२-६ । न किं कुर्यात् न किं दद्यात् ॥१५-१-२ तित्थयरो चउनाणी। ९३-१ दुण्डं उवरिं वसन्ती । ६६-२-३ । नट्टविही नाडयविही। ३१-१-२ तिन्नेव य पच्छागा। ७१-१-१४ दुर्भिक्षोदयमन्त्रसङ्घहपरः। ५५-१-१३ न तथा सुनाम लोके। १३-१-४ तिवरिसपरियागस्स उ। १२-१.-२ । दुष्पतिकारौ माता ०। ६५-२-१५ | | न नाम्नामावृत्त्या। २६-२-३ तिवासपरियायस्स। १२-१.-८ दृग्नाशो ब्रह्मदत्ते। १०-३-११ | न य तस्स तन्निमित्तो। ६८-१-२ तुममच्छीहिं न दीससि। १७--१--३ | देहदुर्गमुद्रग्राणि । ८४-१-३ | न विश्वसेत् पूर्वविरोधिका ४१-२-३
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