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आत्मा ही है शरण
पर हिम्मतभाई ने हिम्मत नहीं हारी और सुन्दरतम कार्यक्रम सेटकर फैडरेशन के अध्यक्ष डॉ. सालगिया के पास भेज दिया । उसकी कुछ कापियां हमें भी दीं । हमने आगे के प्रवास में जहाँ भी इसकी चर्चा की, सभी ने दिल खोलकर स्वागत किया ।
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इसमें कई नगर ऐसे भी हैं, जो आपस में मिलकर किसी एक ही स्थान पर केम्प का आयोजन करने की सोच रहे हैं । आशा है कि आगामी वर्ष वाशिंगटन जैसे अनेक शिविर लगेंगे।
सान्फ्रांसिस्को में एक व्याख्यान वैदिकधर्म समाज के मन्दिर में एवं एक व्याख्यान प्रोफेसर प्रकाश जैन के घर पर हुआ । सान्फ्रांसिस्को से हम ह्यूस्टन पहुँचे, वहाँ एक प्रवचन हिन्दूवर्शिप मन्दिर में तथा एक प्रवचन जैन सोसाइटी के हॉल में हुआ । वहाँ से हम डलास और डलास से क्लीवलेन्ड पहुँचे। दोनों ही जगह अच्छे कार्यक्रम हुए ।
इसके बाद हम डिट्रोयट पहुँचे। यहाँ यूनिटेरियल चर्च हॉल के अतिरिक्त अनन्त कोरड़िया, राज जैन एवं कुलीन शाह के घर भी एक-एक प्रवचन और चर्चा के कार्यक्रम रखे गए ।
वहाँ से टोरन्टो पहुँचे । टोरन्टो में तीन सौ से भी अधिक जैन परिवार रहते हैं । यहाँ हिन्दीभाषी जैन भी बहुत हैं । यहाँ जैन मन्दिर की स्थापना भी हो चुकी है । मन्दिर के हॉल में हमारे प्रवचनों के लगातार तीन दिन तक कार्यक्रम रखे गए, जो बहुत प्रभावक सिद्ध हुए ।
टोरन्टो से हम रोचेस्टर पहुँचे । वहाँ हमारे कार्यक्रम को एक पिकनिक का रूप दिया गया था, जिसमें सम्पूर्ण जैन समाज उपस्थित था, वहाँ अहिंसा पर मार्मिक प्रवचन हुआ । दूसरे दिन इण्डियन कम्यूनिटी हॉल में प्रवचन हुआ । वहाँ इण्डियन कम्यूनिटी ने एक बहुत बड़ा स्थान लिया है, जिसमें तीन तो बड़े-बड़े हॉल हैं, जिनमें हजारों लोग एक साथ बैठ सकते हैं । अनेक कमरे और भी हैं ।