Book Title: Aate Ka Murga
Author(s): Amitsagar
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ राजा की आंखों में आंसू आ गये। तभी यज्ञनायक पंडित बलि चढाने हेतु श्लोक पढ़ता हे राजन। शत्रु पास नहीं कोई आपंकी आज्ञा का उल्लघन नहीं करता, कोई आपसे ईष्यो नहीं करता अतः आप बलि के लिए तलवार चलायें। तलवार देवी के पास फेंक कर राजा हाथ जोड़ कर खड़ाहो गया ।। सेवकों। इन दोनों को उच्चासन पर बिठाओ।) जो आज्ञा महाराज/ अरे! ये तो हमारेभानजाभानजी हैं.. नहीं नहीं... हम इन्हें नहीं मारेंगे। %BOOF C अरे। हमें तो मोक्ष के सिवाय कोई वस्तु इष्ट नहीं इसीलिए शत्रु-मित्र, सज्जन-दुर्जन सभी समान है। " RR5088906088 2. जाड कायरस TERREDDHA

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