Book Title: Aate Ka Murga
Author(s): Amitsagar
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 20
________________ राजा दूसरे दिन देवी के मंदिर में आटे के मुर्गे | हे देवी। यह की बलि चढ़ाने गया ... ... ... तेरे लिए बलि है,तू तुष्ट हो। -887 रोने की आवाज़ में आटे का मुर्गा .. ३ कर नीचे गिर पड़ा। राजाको थह दृश्य देख कर बड़ा दुख और पश्चाताप भा... अरे! यह मैंने बहुत बुरा किया। अब मुझे नरकों में दुखभोगने, पड़ेंगे 00000 1766 * * पश्चाताप करता हुआ.राजा घर लौट आया।

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