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गुरुदेव ! धर्मोपदेश दीजिए जिससे हमारा भी
कल्याण हो।
हे राजन् । यह जीव अपनी करनी का फल अवश्य पाता है। जिन मुर्गों को तूने मारा। था। वे ही तेरे पिता यशोघर एवं दादी
चन्द्रमती थे।
हे भगवन् । उनको मुर्गे की योनि कैसे मिली! हेराजन , यशोधर राजाने दादी चन्द्रमती के कहने से आटे के मुर्गे की बलि देवी कोचदाई थी जिससे उन्हें
भी मुर्गे की योनि प्राप्त हुई।
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हे गुरुदेव! अब उनके जीव किस योनि में
हे गुरुदेव। हमें संसार सागर से तिरने वाली दीक्षा देकर कृतार्थ करें!
हेराजन। वे दोनों आपके यहां पुत्र एवंपुत्री के रूप में पैदा हुए हैं।
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राजा ने राजा यशोमती मुनिराजका उपदेशसुनकर || दिगम्बरी दीक्षा वैराग्य भावों से भर गया ......
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