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चण्डमारी देवी यह सारी कहानीसुन कर उदास होगई और अपना असली रूप प्रकट कर बोल उठी......
हे राजन् ! अब कोई जीवों की बलि नहीं चढ़ायेगा। जो जीवों की हिंसा करेगा उसका घन-कुटुम्ब सब नष्ट हो जायेगा।
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अहिंसा धर्म की,
जय हो। अहिंसा धर्म की,
जय हो।
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| मंदिर में चारों ओर 'अहिसाधर्म कीजयहो की आवाज गूंज उठी।