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(हे भगवन ! अहिंसा) क्या है ?
हे भद्र! दूसरे प्राणियों को न मारना,नदाश्च देना अहिंसा है। हिंसा से बहुत पाप होता है और दुःस्व मिलता है। मन में हिंसा का विचार ही नहीं आना चाहिए।
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(हे भगवन् ! इसका क्या प्रमाण है कि हिंसा)
से दुःख होता है
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4.30
हे भद्र ! जो तेरे पास दोनों मुर्गे हैं। व्यशोधर एवं उसकी मां चन्द्रमती है। जिन्होने आटेका मुर्गा बनाकर देवी को बलि चदाई थी उसका दुःख वे आज तक भोग
रहे हैं।
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मुनिराज के उपदेशा से दोनों मुर्गों को जातिस्मरण हो गया। वे MAMIRyanranAnand
जोरों से कूँ......करके बुरी तरह रोने लगे... उसी समय राजा यशोमती एवं रानी अरे प्रिये ! यह आवाज कहाँ से....... कुसमावती उद्यान में घूमने आये...
( अरे निशाना लगाओ तब जाने
अपनी शब्दवेधविद्या की निपुणतासेदरसे ही तीर चलाया जिससे दोनों मुर्गो की मृत्यु हो गई।